शब्द-चित्र

कहती है निशा तुम सो जाओ,
मीठे ख्वाबों में खो जाओ।
खो जाओ किसी के सपने में,
क्या रखा है दिन-रात तड़पने में।
मुझे सुलाने की कोशिश में,
जागे रात भर तारे।
चाँद भी आकर सुला न पाया,
वे सब के सब हारे।
समझाने आई फिर,
मुझको एक छोटी सी बदली
मनचाहा मिल पाना,
कोई खेल नहीं है पगली।
पड़ी रही मैं अलसाई,
फ़िर भोर हुई एक सूर्य-किरण आई।
छू कर बोली मस्तक मेरा,
उठ जाग जगा ले भाग,
हुआ है नया सवेरा।।
____✍️गीता

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Responses

  1. फ़िर भोर हुई एक सूर्य-किरण आई।
    छू कर बोली मस्तक मेरा,
    उठ जाग जगा ले भाग,
    हुआ है नया सवेरा।।
    —– बहुत सुंदर पंक्तियां, लाजवाब कविता।भावना के साथ ही काव्य सृजन के मामले में भी कविता बहुत उत्कृष्ट हैं। कविता की भाषा में प्रवाह है, एक लय है। कवि गीता जी ने कम से कम शब्दों में प्रवाहपूर्ण सारगर्भित बात कही है।

  2. कहती है निशा तुम सो जाओ,
    मीठे ख्वाबों में खो जाओ।
    खो जाओ किसी के सपने में,
    क्या रखा है दिन-रात तड़पने में।
    मुझे सुलाने की कोशिश में,
    जागे रात भर तारे।

    मीठी नींद के सपने संजोती रचना
    उच्चकोटि का शिल्प है

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