हो गया है उजाला
हो गया है उजाला
अब मुझे भान हुआ
जब खुली आँख तब
सुबह का ज्ञान हुआ।
इन चहकते हुए
उड़गनों ने बताया,
जाग जा अब तो तूने
अंधेरा है बिताया,
हो गई है सुबह
साफ कर तन वदन
दूर आलस भगा ले
कर्मपथ पर लगा मन।
रात भर स्वप्न देखे
अब उन्हें कर ले पूरा
इस तरह काम कर ले
रहे मत कुछ अधूरा।
वाह, प्रात: काल की बेला का सुंदर चित्रण और दैनिक कार्य कलापों का इतने सहज रूप से वर्णन करती हुई कवि सतीश जी की बहुत ही उम्दा प्रस्तुति,शिल्प और भाव का सुंदर समन्वय
इस लाजवाब समीक्षा हेतु आपको बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी।
बहुत सुंदर रचना
प्राकृतिक सौंदर्य का बहुत सुंदर चित्रण
Wow nice poem on natural beauty
Very nice line