बुढ़ापे की लाचारी

आज कयी बच्चों के एक पिता को
दवा के अभाव में तङपते देखा है
ना उसके भूख की चिन्ता
न परवाह उसकी बीमारी की
गज़ब दास्तां है, बुढ़ापे की लाचारी की।
बिस्तर पर पङे, पर बिछावन है नहीं
वस्त्र के नाम पर, साफ धोती भी नहीं
निगाहें तकती,किसी अपने की आहट की
गज़ब दास्तां है, बुढ़ापे की लाचारी की।
बेटा-बेटी कहने को अपने, झूठे सारे सपने
समय के अभाव का रोना,अभी है कोरोना
वधु घर पर आश है ससुर के दम निकलने की
गज़ब दास्तां है बुढ़ापे की लाचारी की।
पता नही क्यूं, हम इसकदर बदल जाते हैं
जनक-जननी से ज्यादा,
वाहरवालो की बातों पर आ जाते हैं
औरों के दुःख में द्रवित,
सहानुभूति के आंसू भी बहा जातें हैं
पर अपनी जिम्मेदारियों से
हमेशा इतर हो‌ मुंह चुङा जातें हैं
अपनी कमी छिपा, डर नहीं ऊपर वाले की
गज़ब दास्तां है बुढ़ापे की लाचारी की।
बेटी की चाह नहीं रखते पुत्र की ललक मन में है
पराया धन समझते, जगह नहीं अपने घर में है
चाहत सेवा की लिए अलग कहीं ‌तङपती है
मर्यादा के नाम,हमेशापिसती‌-सिसकती रहती है
अब बारी है कुछ परम्पराओं को बदलने की
गज़ब दास्तां है बुढ़ापे की लाचारी की।
बेटी ही बहु बनती,‌स्नेह कहा छोङ आती है
सास‌ भी‌ बहु को बेटी क्यूं नहीं ‌बना पाती है
अहम आङे आता है, दूरियां बढ़ते जाती है
घर एक है मगर, भावनाएं बिखरते जाती है
कोशिश कैसे करें, इसे मिटाने की
गज़ब दास्तां है बुढ़ापे की लाचारी की।

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

पुनर्विवाह (Part -2)

पुनर्विवाह (Part -2) विवाह संस्कार अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण हैं, किसी भी महिला के लिए विधवा होने के दर्द से बड़ा दर्द, दुनिया में…

Responses

  1. अब बारी है कुछ परंपराओं को बदलने की गजब दास्तां है बुढ़ापे की लाचारी की 🙏🙏 बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति सुमन जी

  2. आज कयी बच्चों के एक पिता को
    दवा के अभाव में तङपते देखा है
    ना उसके भूख की चिन्ता
    न परवाह उसकी बीमारी की
    गज़ब दास्तां है, बुढ़ापे की लाचारी की।
    _________ बुढ़ापे की स्थिति का बहुत ही मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है सुमन जी अपने, हृदय स्पर्शी रचना

  3. बहुत ही सुंदर पंक्तियां सावन के मंच पर स्वागत है आपका सुमन जी

New Report

Close