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मैं बस्तर हूँ
दुनियाँ का कोई कानून चलता नहीं। रौशनी का दिया कोई जलता नहीं। कोशिशें अमन की दफन हो गयी हर मुद्दे पे बंदूक चलन हो गयी॥…
वंदेमातरम् गाता हूँ
नारों में गाते रहने से कोई राष्ट्रवादी नहीं बन सकता। आजादी आजादी चिल्लाने से कोई गांधी नहीं बन सकता। भगत सिंह बनना है तो तुमको…
छत्तीसगढ़ के घायल मन की पीड़ा कहने आया हूँ।
मैं किसी सियासत का समर्थन नहीं करता हूँ। भ्रष्टाचार के सम्मुख मैं समर्पण नहीं करता हूँ॥ सरकारी बंदिस को मैं स्वीकार नहीं करता हूँ। राजनीति…
“मैं स्त्री हूं”
सृष्टि कल्याण को कालकूट पिया था शिव ने, मैं भी जन्म से मृत्यु तक कालकूट ही पीती हूं। मैं स्त्री हूं। (कालकूट –…
दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
बहुत सुंदर पंक्तियाँ
धन्यवाद पाण्डेयजी सर्वश्रेष्ठ कवि और प्रतियोगिता के विजेता बनने की बधाई
समाहार सुंदर है
सुंदर
सुंदर समीक्षा हेतु हार्दिक आभार
१०० प्रतिशत सही फरमाया आपने।
धन्यवाद
बहुत सुन्दर कविता है वाह
धन्यवाद
सुंदर अभिव्यक्ति
धन्यवाद
एक मजदूर की पीड़ा को व्यक्त किया है आपने अपनी रचना के द्वारा,
बहुत सुंदर👏👏
मजदूरों की व्यथा को व्यक्त करती बहुत ही प्यारी रचना