Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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रिश्तों के बाजार में अब तो नाते बिकते हैं ।
रिश्तों के बाजार में अब तो नाते बिकते हैं । मात-पिता को छोड़ अब वह सुत प्यारा, अब तो सास श्वसुर के पास रहते हैं…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
संघर्ष ; शेष है !
किसी नदी का सिर्फ़ नदी होना ही पर्याप्त नहीं होता ॰ किसी भी नदी का जीवन बहुत लंबा नहीं होता बेशक; लंबा हो सकता है…
“ धूप की नदी “
लड़की ; पड़ी है : पसरी निगाहों के मरुस्थल में ………….धूप की नदी सी । लड़की का निर्वस्त्र शरीर सोने—सा चमकता है लोलुप निगाहों में…
सुंदरता
सुंदर दिखना सबको भाता, हे जीवन के भाग्य विधाता । तन की काया कुछ पल सुंदर , मन की माया हर पल सुंदर । तन…
Nice
Thanks
सुंदर
आभार आपका