मुक्तक

तेरे बगैर तन्हा जमाने में रह गया हूँ! तेरी यादों के आशियाने में रह गया हूँ! हरवक्त तड़पाती है मुझे तेरी बेरुख़ी, तेरे ख्यालों के…

मुक्तक

आरजू तेरी बुला रही है मुझे! याद भी तुमसे मिला रही है मुझे! किसतरह मैं रोकूँ दिल की तड़प को? आग चाहत की जला रही…

मुक्तक

आओ फिर से एक बार नादानी हम करें! नजरों में तिश्नगी की रवानी हम करें! जागी हुई है दिल में चाहत की गुदगुदी, आओ फिर…

मुक्तक

मुझको तेरी याद अभी फिर आयी है! चाहत की फरियाद अभी फिर आयी है! मुझको ढूंढ रही है तन्हाई फिर से, तस्वीरे-बरबाद अभी फिर आयी…

मुक्तक

तुम देखकर भी मुझको ठहरते नहीं हो! तुम सामने मेरे कभी रहते नहीं हो! बेचैनियों का शोर है ख्यालों में मगर, तुम अपनी जुबां से…

मुक्तक

तेरे लिए हम तन्हा होते चले गये! तेरे लिए हम खुद को खोते चले गये! पास जब भी आयी है यादों की चुभन, तेरी ही…

मुक्तक

तेरा नाम कागज पर बार-बार लिखता हूँ! तेरे प्यार को दिल में बेशुमार लिखता हूँ! टूटेगा न सिलसिला तेरी तमन्नाओं का, तेरे ख्यालों पर गमें-बेकरार…

मुक्तक

ख्वाबों की हकीकतें रिश्ते तोड़ देती हैं! रिश्तों की जरूरतें तन्हा छोड़ देती हैं! ख्वाहिशें जमाने की तड़पाती हैं दिल को, जिन्दगी की मुश्किलें राहें…

मुक्तक

दिन गुजर जाएगा मगर रात जब होगी! तेरी चाहत से मुलाकात तब होगी! सिसकियाँ ख्यालों की तड़पाएगीं कबतक? तुमसे दिल की रू-ब-रू बात कब होगी?…

मुक्तक

तेरे ख्यालों की मैं राह ढूंढ लेता हूँ! तेरे जख्मों की मैं आह ढूंढ़ लेता हूँ! ढूंढ लेती हैं मुझको तन्हाइयाँ जब भी, मयकदों में…

मुक्तक

वक्त जाता है मगर खामोशी नहीं जाती! तेरे हुस्न की कभी मदहोशी नहीं जाती! फैली हुई है हरतरफ यादों की ख़ुशबू, तेरी चाहतों की सरगोशी…

मुक्तक

तेरे दीदार का बहाना मिल ही जाता है! तेरी उल्फ़त का तराना मिल ही जाता है! कभी थकती नहीं नजरें मेरी इंतजार में, तेरी यादों…

मुक्तक

मैं इत्तेफाक से गुनाह कर बैठा हूँ! तेरे रुखसार पर निगाह कर बैठा हूँ! शामों-सहर रहता हूँ बेचैन इसकदर, तेरे लिए जिन्दगी तबाह कर बैठा…

मुक्तक

मेरा जिस्म है मगर जान तुम्हारी है! तेरे बिना तन्हा जिन्दगी हमारी है! दर्द बरक़रार है तेरी जुदाई का, जाम की मदहोशी मेरी लाचारी है!…

मुक्तक

तेरा ख्याल मेरी हद से गुज़र रहा है! मेरा जिस्म तेरी चाहत से डर रहा है! खुली हुई हैं सिलवटें ख्वाबों की नजर में, यादों…

मुक्तक

तुमसे बार बार मैं बात करना चाहता हूँ! तेरी जुल्फ के तले रात करना चाहता हूँ! आती हैं हवाएं लेकर जब तेरी ख़ुशबू, फिर से…

मुक्तक

तेरा जो दीवाना था कब का मर गया है! तेरा जो परवाना था कब का डर गया है! कायम था तूफान जो मेरे अरमानों का,…

मुक्तक

तेरा जिक्र दर्द का बहाना बन जाता है! मेरी बेखुदी का अफसाना बन जाता है! जब भी याद आती है मुझे तेरी दिल्लगी, जख्मों का…

मुक्तक

कोई खौफ़ नहीं है मरने से मुझको! दामन में अश्कों के बिखरने से मुझको! क्या रोकेगी तन्हाई शामों-सहर की, जिन्दगी भर इंतजार करने से मुझको!…

मुक्तक

अपनी तमन्नाओं पर मैं नकाब रखता हूँ! धड़कनों में यादों की मैं किताब रखता हूँ! हर घड़ी तड़पाती है मुझे तेरी गुफ्तगूं, दर्द तन्हा रातों…

मुक्तक

जिन्दगी मिलती नहीं किसी को सस्ती बनकर! कोई तन्हा है कहीं कोई हस्ती बनकर! नेकियाँ करते चलो तुम भी कुछ जमाने में, जिन्दगी जी लो…

मुक्तक

कभी वक्त से हारा हूँ कभी हालात से! कभी दर्द से हारा हूँ कभी जज्बात से! मैं जीत जाता हर बाजी चाहत की मगर, मैं…

मुक्तक

तुमको एक मुद्दत से अपना बना बैठा हूँ! अपनी उम्मीदों का सपना बना बैठा हूँ! उलझा हुआ रहता हूँ मैं तेरे ख्यालों में, तेरी चाहत…

मुक्तक

अपनी तन्हाई को कबतक सहूँ मैं? अपनी बेचैनी को किससे कहूँ मैं? टपक रही हैं बूँदें यादों की मगर, अश्कों के भंवर में कबतक रहूँ…

मुक्तक

जब वादों की जश्ने-रात होती है! ख्वाबों की नजरों से बात होती है! ढूंढती है सब्र को मेरी जिन्दगी, जब भी यादों की बरसात होती…

मुक्तक

तेरी याद में हम रो भी लेते हैं! तेरे लिए गमजदा हो भी लेते हैं! जब रंग सताता है तेरे हुस्न का, खुद को मयकदों…

मुक्तक

पूछ लो आकर कभी किस हाल में मैं हूँ? शामों-सहर तुम्हारे ही ख्याल में मैं हूँ! खोया सा रहता हूँ यादों की भीड़ में, आज…

मुक्तक

तेरी मुलाकात मुझे याद आ रही है! भीगी हुई रात मुझे याद आ रही है! खोया हुआ हूँ फिर से यादों में तेरी, शबनमी बरसात…

मुक्तक

आज भी यादों का ग़ुबार है दिल में! आज भी ख्वाबों का संसार है दिल में! दर्द है जिन्दा अभी जुदाई का मगर, आज भी…

मुक्तक

मेरे नसीब मुझको रुलाते किसलिए हो? मेरी जिन्दगी को तड़पाते किसलिए हो? #दूर_दूर सी रहती हैं मंजिलें मुझसे, रहमों-करम का खेल दिखाते किसलिए हो? मुक्तककार…

मुक्तक

मुझको याद है तेरा शर्माते हुए मिलना! धीरे-धीरे जुल्फ को बिखराते हुए चलना! चाँदनी सी रोशनी ले आती है आरजू, जैसे हो तन्हाइयों में फूलों…

मुक्तक

जब कभी लबों से कोई बात नहीं होती! शबनमी पलों की कोई रात नहीं होती! डोलते ही रहते हैं हर कदम यादों के, जब कभी…

मुक्तक

तेरे हुस्न का मुझपर पहरा सा रहता है! तेरा ख्वाब पलकों में ठहरा सा रहता है! तड़पाती रहती हैं मुझको यादें हर घड़ी, तेरा रंग…

मुक्तक

क्यों तेरी तमन्नाओं से मैं छिपता रहता हूँ? क्यों अपनी बेबसी को मैं लिखता रहता हूँ? नाजुक से हैं ख्याल मगर चुभते हैं जब कभी,…

मुक्तक

आज फिर मौसम में नमी सी आ रही है! जिन्दगी में तेरी कमी सी आ रही है! आ गया है रूबरू कारवाँ ख्यालों का, यादों…

मुक्तक

मुझसे खता हुई है तुमसे दिल लगाने की! तुम भी भूल गये हो राहें पास आने की! फैली हुई दरारें हैं चाहत के दरमियाँ, कोशिशें…

मुक्तक

जी रहा हूँ मैं तो अश्कों को पीते-पीते! जी रहा हूँ मैं तो जख्मों को सीते-सीते! खोया हुआ सा रहता हूँ चाहत में तेरी, मर…

मुक्तक

राहे-वक्त में तुम बदलते जा रहे हो! तन्हा रास्तों पर तुम चलते जा रहे हो! दूर-दूर क्यों रहते हो जिन्दगी से तुम? बेखुदी की शक्ल…

मुक्तक

तेरी याद आज भी मुझको रुलाती है! तेरी याद आज भी मुझको सताती है! भूलना मुमकिन नहीं है तेरे प्यार को, तेरी याद आज भी…

मुक्तक

हर शक्स जमाने में गुमनाम जैसा है! दर्द और तन्हाई की शाम जैसा है! जलता हुआ सफर है राहे-मंजिलों का, जिन्दगी को ढूँढता पैगाम जैसा…

मुक्तक

तेरी याद न आए तो फिर रात क्या हुई? तेरा दर्द न आए तो फिर बात क्या हुई? पलकों में अभी अश्क भी आए नहीं…

मुक्तक

टूटते ख्वाबों के फसाने हैं बहुत! जिन्दगी में गम के बहाने हैं बहुत! बस तू ही खफा नहीं है अंजाम से, शमा-ए-चाहत के परवाने हैं…

मुक्तक

फसाना जिंदगी का अजीब सा होता है! हर ख्वाब आदमी का रकीब सा होता है! बदली हुई निगाह से डर जाते हैं कदम, मंजिलों का…

मुक्तक

तेरे सिवा कुछ भी नजर आता नहीं है! ख्वाबों का सफर भी मुस्कुराता नहीं है! राह खींच लेती है यादों की इसतरह, तेरा ख्याल मुझसे…

मुक्तक

दर्द के दामन में चाहत के कमल खिलते हैं! अश्क की लकीर पर यादों के कदम चलते हैं! रेंगते ख्यालों में नजर आती हैं मंजिलें,…

मुक्तक

तेरी याद से खुद को आजाद करूँ कैसे? तेरी चाहत में खुद को बरबाद करूँ कैसे? लब्ज भी खामोश हैं बेबसी की राहों में, तेरी…

मुक्तक

मेरी जिन्दगी गमें-ख्याल बन गयी है! तन्हा बेखुदी की मिसाल बन गयी है! मेरे दर्द की कभी होती नहीं सहर, रात जुदाई में बेहाल बन…

मुक्तक

तुम मेरी यादों में आते किसलिए हो? तुम मेरे दर्द को बुलाते किसलिए हो? वक्त की दीवारों में दफ्न हूँ कबसे, तुम मेरी रूह को…

मुक्तक

जख्म मिट गया है मगर मौजूद तेरी निशानी है! गुजरे हुए हालात की मौजूद तेरी कहानी है! राह देखता रहता हूँ अब भी शामों-सहर तेरी,…

मुक्तक

दर्द तेरा कायम है याद भी आ जाती है! #शाम_ए_तन्हाई में बेइन्तहाँ सताती है! हंसने की जब भी तमन्ना होती है दिल में, ख्वाबों की…

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