Few words from Mushaira
					Saavan
ये कारवां चले तो, हम भी चलें
ये शम्मा जले तो, हम भी जलें
खाक करके हर पुरानी ख्वाहिश को
इक नया कदम, हम भी चलें……
कभी ठहरी सी लगती है,
कभी बहती चली जाती है
जिंदगी है या पानी है
न जाने क्यों जम जाती है
कोई वक्त था, जब एक रब्त चला करता था हमारे दरम्या
गुजर गया वो रब्त, अब साथ बस वक्त चले
मुश्किल है राहें, सूनी है अकेली सी
इस अकेलेपन में साथ तन्हाई चले
		
Wah
Kya bat
जिंदगी है या पानी है
न जाने क्यों जम जाती है
वाह वाह