
Pragya
जी नहीं करता।।
July 10, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
आज सुकून की तलाश करने को जी नहीं करता
तुमसे बात करने को भी जी नहीं करता
जलते हुए चिरागों में रह लिये बहुत,
चिराग दिल के जलाने को जी नहीं करता।।
जाने क्या बात है…!!
July 2, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जुलाई की शुरुआत है
कहाँ खोई सावन की बरसात है ?
तन पर लिपटे कपड़े
सर्प के समान लगते हैं
झोपड़पट्टी वालों का तो
और भी बुरा हाल है।
रूखे रूखे पत्ते हैं
डालियाँ मुरझाई हुई
पुष्प हैं डरे हुए से
जाने क्या बात है ! !

तेरे सिर पर सज के सेहरा…
July 2, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
कुमार विश्वास की कविता:-
मांग की सिंदूर रेखा” एक प्रेमी के हृदय की वेदना को तो बखूबी व्यक्त करता है। जब उसकी प्रेमिका का विवाह किसी और के साथ हो रहा होता है, तब प्रेमी पर क्या गुजरती है ! यह मांग की सिंदूर रेखा पढ़ कर पता चल जाता है।
••परंतु जब किसी लड़की के प्रेमी का विवाह हो रहा होता है तो उस लड़की पर क्या गुजरती है यही भाव प्रकट करने की कोशिश की है मैंने। उन लड़कियों की तरफ से उनके हृदय की वेदना को व्यक्त करने की छोटी-सी कोशिश की है।मैं वादा करती हूँ कि बहुत जल्द आपको इसका वीडियो भी उपलब्ध कराऊंगी।
———————
तेरे सिर पर सजके सहरा
प्रश्न तुमसे जब करेगा
यूँ मुझे मस्तक पर रखकर
जा रहे किस ओर तुम हो
तुम कहोगे जा रहा हूँ
लेने अपनी संगिनी को,
तो कहेगा रास्ता उधर है
जा रहे विपरीत तुम हो।
तेरे सिर पर सजके सहरा…।।
वस्ल’ में सज कर तुम्हारी
यामिनी तुमसे मिलेगी
मेरे उपवन की कली वो
प्यार से चुनने लगेगी
तब कोई अल्हड़-सा भंवरा
आ के तुमसे यह कहेगा,
था किया वादा कभी जो
तोड़ते क्यों आज तुम हो।
तेरे सिर पर सज के सेहरा….।।
जब कोई रुख पर तुम्हारे
जुल्फ अपनी खोल देगा
और तेरे वक्ष से सट करके
लव यू’ बोल देगा
तब करोगे क्या बताओ ?
प्रज्वलित तन हो उठेगा
मैं कहूंगी बेवफा हो
या तो फिर लाचार तुम हो।
तेरे सिर पर सज के सहरा…।।
मुझसे ज्यादा प्रेम तुमसे
करती है कोई तो बताओ !
गर बसा कोई और दिल में
तो बता दो ना छुपाओ ?
क्या मुझी से प्यार है ???-
जब भी मैं तुमसे पूछ बैठी
कल भी तुम नि:शब्द थे और
आज भी नि:शब्द तुम हो।
तेरे सिर पर सज के सेहरा…।।
नैनों में होगी उदासी
खालीपन होगा ह्रदय में
बाहों में तो सोई होगी,
होगी ना पर वो हृदय में
तब कोई संदेश मेरा
आ के तुमसे ये कहेगा-
मेरी कविताओं का अब भी
हे प्रिये! आधार तुम हो।
तेरे सिर पर सज के सेहरा
प्रश्न तुमसे जब करेगा
यूँ मुझे उस मस्तक पे रख के
जा रहे किस ओर तुम हो ?
तुम कहोगे जा रहा हूँ
लेने अपनी संगिनी को,
तो कहेगा रास्ता उधर है
जा रहे विपरीत तुम हो।।
✍______प्रज्ञा शुक्ला ‘सीतापुर
तुम्हारा फोन आया है
July 2, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
मेरे हृदय की घंटियों को
किसी ने जोर से बजाया है
मैं आनंदित हो उठी हूं
तुम्हारा फोन आया है
तुम्हारा फोन आया है।
ह्रदय की सरजमी को तुमने
अंदर तक हिलाया है
तुम्हारा फोन आया है
तुम्हारा फोन आया है।
तुमको याद आई है मेरी
या किसी ने दिल दुखाया है
तुम्हारा फोन आया है
तुम्हारा फोन आया है।
बात कुछ भी हो लेकिन सच तो यही है
बरसों बाद तुमने फिर से मेरा दरवाजा खटखटाया है
तुम्हारा फोन आया है
तुम्हारा फोन आया है।

चांद का मुंह टेढ़ा है ! !
July 1, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
कंबल की अभिमंत्रित
प्यासी जटाएं,
एकाकीपन में डूब गईं…
जिसकी सुगंध वासुकी की स्वांसों को महका रही थी••
तभी कोई अनजानी
अन- पहचानी आकृति,
बादलों के कंधों पर सो गई और
दृढ़ हनु को अंश मात्र स्पर्श करके
कुछ रहस्य कानों में कह गई…
उसके ललाट से बिजलियाँ थी कौंधती,
गौरवपूर्ण भाषा में थीं कुछ कह रही…
इतने में कंबल की प्यासी जटाएं’ समवेत स्वर में कह उठीं-
•••चांद का मुंह टेढ़ा है, चांद का मुंह टेढ़ा है… ! !
चौमास की अर्द्धगन्ध’
July 1, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
मेरे हिस्से की स्वांस पूछती है-
रात्रि में श्यामल ओस से लक्षित
वह कौन-सा
प्रतिबिंब है जो सुनाई तो देता है,
परंतु दिखाई नहीं देता
चौमास की अर्धगन्ध से बने
पुतलों से फूले हुए पलस्तर
गिरते हैं••
सहनशक्ति भरी रेत खिसकती है खुद-ब-खुद,
विलक्षण शंका के तिलस्मी खोह का
एह शिला द्वार खुलता है अर्र्ररररर…..
सम्भावित स्नेह के विवर में,
शीश उठाये लाल मशाल जलाकर
द्वेष नामक पुरुष समा जाता है•••
आखिर वह कहाँ जाता है ! !

हिंदी साहित्यकार एवं आलोचक:- रघुवंश सहाय वर्मा जी
July 1, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
हरदोई के गोपामऊ में जन्मे रघुवंश सहाय वर्मा जी को उनकी जन्मतिथि पर, प्रज्ञा शुक्ला’ की तरफ से शब्दों का सुनहरा गुलदस्ता सप्रेम भेंट:-
————————–
30 जून को जन्मे रघुवंश सहाय जी
जन्मतिथि पर उनकी वंदन नमन करो।
वह दोनों हाथों से अपंग थे पर फिर भी लिखते थे
उनकी बहादुरी का भी तो मनन करो।
हाथों से नहीं वह तो पैरों से लिखते थे
अपनी अपंगता को वह तो ताकत कहते थे।
हाथों में सिर्फ दो ही उंगलियां थी उनके
पैरों को ही हाथ बनाकर वह लिखते थे।
अपनी कृपणता के कलंक को भी मिटा दिया
हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी का भी मनन किया।
साहित्यकार थे वह उत्कृष्ट आलोचक थे
हिंदी विभाग के अध्यक्ष थे वह उद्योतक थे।
महादेवी वर्मा जी के बहुत करीबी थे
समाजवादी विचारधारा के वह तो पोषक थे।।

“संजय गांधी जी की पुण्यतिथि”
July 1, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
संजय गांधी जी की पुण्यतिथि
————————
23 जून 1980 को
चिराग एक बुझ गया
संजय गाँधी नाम था उनका
एक विमान दुर्घटना में चला गया।
दिलचस्पी थी उनको विमान कलाबाजी में
प्रतियोगिताओं में भाग लेकर वह
कला प्रदर्शन करते थे
एक दिन अपने कार्यालय पर वह
हवाई युद्धाभ्यास कर रहे थे
नियंत्रण खोकर दुर्घटनाग्रस्त हो गए
सिर पर चोट के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए
इन्दिरा जी के लाल थे वह
राजीव गांधी के छोटे भाई थे
क्या कहें जब वह गए छोड़ कर
वह पल कितने दुखदाई थे।।
संजय गांधी जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि। यह कविता किसी कारणवश 23 जून को प्रकाशित नहीं कर पाई कृपया क्षमा कीजिएगा।।🙏🙏
श्री राम’ के नाम पर बोलो…!!
June 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
श्री राम’ के नाम पे बोलो
कब तक तुम राजनीति करोगे?
ब्रह्म विरोधी, कर्म विरोधी
बोलो कब तक तुम छुप पाओगे
पूँछ रहा है मुझसे भारत
कैसी ये राजनीति हुई है
चारों ओर है संकट गहरा
श्री राम की भी तौहीन हुई है
देश बेंच कर बोलो कब तक
श्री राम के नाम पे खाओगे
जब तुमको मृत्यु आएगी
नरक में भी सीट नहीं पाओगे।।

“प्रिय जितिन प्रसाद जी”
June 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जितिन प्रसाद जी को प्रज्ञा शुक्ला की पाती:-
सेवा में,
प्रिय जितिन चाचा’
भगवाधारी ‘कांग्रेसी
चाचा श्री,
आज तुम्हारी छवि धूमिल हो गई
जितिन जी,
या कि कहूँ मैं छवि ही तो मिट
गई जितिन जी।
कितना तुमको मान मिला करता
था राहुल से,
सोनिया जैसी मां तुमसे छिन गई
जितिन जी।
माना तुम तो बैठ गए थे
खाली घर में,
राजनीति की कुर्सी भी थी छिन
गई जितिन जी।
पर जिसने तुमको पाला-पोसा
राजनीति सिखाई,
उसका ही तुम हाथ छोड़कर गए
जितिन जी।
राजनीति तो विचारधारा की एक
लड़ाई है,
तो फिर तुम कब से मौकापरस्त
हो गए जितिन जी।
आपकी अपनी शुभचिंतक
जनकवयित्री:-
प्रज्ञा शुक्ला’ सीतापुर

वैद्यनाथ मिश्र ‘नागार्जुन
June 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
नागार्जुन जी के जन्मदिवस पर सप्रेम भेंट मेरी कुछ पंक्तियां:-
———————-
हिंदी साहित्य के यात्री’
युवाओं के सारथी
राजनीतिक विश्लेषक थे वह
जय हो भारत भारती
हिंदी में विख्यात हुए वह
नागार्जुन’ के नाम से
मैथिली के बने यात्री’
विद्वत थे वह विद्वान थे
जन्म दिवस है आज उनका
जो मधुबनी’ बिहार की शान थे
हिंदी उनमें बसती थी और
वह साहित्य जगत के प्राण थे।
लिखना तो और भी बहुत कुछ चाहती थी परंतु समयाभाव के कारण आंशिक अंश ही प्रकाशित कर पाई हूँ।।
काश कुछ और लिख पाती….
🎂 Wish you a very very happy birthday Nagarjuna ji
“स्वाभिमान और झुकाव”
June 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जीवन में स्वाभिमान और झुकाव
दोनो जरुरी हैं
स्वाभिमान कभी°°°
स्वयं का अपमान होते नहीं देख सकता और झुकाव कभी अपमान होने नहीं देता।
•••झुकी हुई झाड़ियां कभी नहीं टूटती
बड़े बड़े दरख्ते अक्सर टूट जाते हैं ।
•••जीवन में आगे वही बढ़ते हैं
जो किसी की जीत के लिए
अक्सर हार जाते हैं।
▪▪▪जो दीपक तूफान आने पर भी अपनी ज्योति मद्धम नहीं करते•••
ऐसे दीप ही आखिरकार बुझ जाते हैं।।

बाँस की तरह
June 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
बाँस की तरह सदा
तना रहता हूँ
मुश्किलों के आगे भी
नहीं झुकता हूँ
पवन के झोंको के थपेड़े खाकर
अनर्गल वार्तालाप और
प्रपंच में फंस कर
कई बार रोया हूँ
कई बार टूटा हूँ,
अपना चैन खोकर
बड़ी जोर से रो कर
सुकून पाया हूँ
किसी और का होकर।
•••अब जान गया हूँ और मान गया हूँ
मैं हृदय हूँ तेरा पर किसी और के लिए धड़कता हूँ।।
“जीवन है एक सत्य”
June 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
मृत्यु है निश्चित तो
डरना कैसा ?
जीवन है एक सत्य तो
घबराना कैसा ?
सीड़ियों पर बैठी मुश्किल
देखे रस्ता••
जब हो बाजुओं में बल तो
घबराना कैसा!
करते रह तू प्रयत्न तो
सुलझेगी गुत्थी
प्रेम से मिलकर रहें तो फिर
वैमनस्य कैसा!!!

अगर आई है पतझड़, तो मधुमास भी आएगा…
June 29, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
भुला दो
दर्द भरे गीतों को,
•••बुला लो अपने हमदर्द और
मित्रों को।
मिट जाएगा मन का हर संताप,
क्यों करते रहते हो तुम
इतना प्रलाप।
बुरा वक्त है
धीरे-धीरे कट जाएगा,
°°°तुम्हारे उदास होठों पर
एक मुस्कान भी दे जाएगा।
अगर पतझड़ है आई
तो मधुमास भी आएगा,
यह तो जीवन है •••
कभी हँसाएगा तो कभी रुलाएगा।।

श्रद्धेय स्वामी विवेकानंद
June 29, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
“श्रद्धेय स्वामी विवेकानंद पर कविता”
उतरा वह जहाज से अपने
रेत में ऐसे लोट गया
जैसे बरसों से बिछड़ा बच्चा हो
मां की गोद गया
जब नरेन’ से बने विवेकानंद
तभी जानी दुनिया
वाह थे विश्व विजेता
उनका लोहा मानी सारी दुनिया
भाई-बहन का संबोधन
विवेकानंद ने ही आरंभ किया
अमेरिका के सभा-समारोह में
सबको दंग किया
युवाओं से ही देश बनेगा
वह ये हरदम कहते थे
मन से बनो संवेदनशील और
तन से चट्टान यह कहते थे
ज्ञानी थे, विज्ञानी थे
देश भक्ति में लिप्त रहते थे
तभी तो उनको दुनिया वाले
स्वामी विवेकानंद जी’ कहते थे।।
“आसमां और जमीं”
June 29, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
किनारे पर बैठकर क्यों
नाव का इंतजार करते हो!
छुपाते हो, डरते हो,
फिर भी प्यार करते हो
नेह की चादर में जिस दिन
सोए थे तुम संग
हम जान गए थे
हमसे कितना प्यार करते हो
मुझसे दूरियों को सह नहीं पाते पिघलते हो
बूंद बनके तुम मेरी जमीन पर बरसते हो
लोग कहते हैं बरसात हो रही है
देख लो
हम जानते हैं वेदना में तुम
सिहरते हो
ओ आसमा ! तुम मुझसे कितना
प्यार करते हो
मैं जब भी तुम्हारी वेदना में तप्त होती हूँ
पिघल-पिघल के तुम बूंद बनके
आ मुझ में मिलते हो।।

मैं समय हूँ…!!!
June 29, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
“वक्त”
———
मैं डूबता-सा कल हूँ
आऊंगा नहीं
जकड़ लो बांहों में
फिर आऊंगा नहीं
जो भी करना है निश्चय कर
तुम आज ही करो
बैठा हूं सीढ़ियों पर
तुम ध्यान तो धरो
गुंजाइश नहीं है देखो
सरोकार की
बातें कर सकते हो तुम
आज भी प्यार की
बना लो लक्ष्य और पाओ मुकाम
आसमां तक हो बस
तेरा ही गुणगान
तेरा ही गुणगान करे यह सारा जहां
देता हूं मौका तुम संभल जाओ ना
एक बार गया हाथ से
तो आऊंगा नहीं
मैं डूबता-सा कल हूँ कभी लौट कर आऊंगा नहीं।।
“सैनिक की मोहब्बत”
June 28, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
लिफाफे में बंद करके कुछ शिकायतें
भेजती हूँ उनको तुम्हारे पास
अभिलाषा है
तुम तक पहुंचेंगी मेरी चिट्ठियां और
मेरे मन की बात
सुनवाई होगी या मुह फेर लोगे!
या फिर आ लौटोगे मेरे पास
देशभक्त तो बहुत बड़े हो
क्या हमसे भी है थोड़ा-सा प्यार
अगर मोहब्बत है तो आ जाओ
माँग लो मेरा हाथ,
प्रियतम बन जाओ फिर करो देश की सेवा
खाकी वर्दी के साथ ही कर दो पीले मेरे हाथ।।

“उर्मिला की सतीत्व शक्ति”
June 28, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
आकाश से एक बूंद गिरी
मचल कर धरा पर
विरहाग्नि में स्तब्ध
उर्मिला को देख कर•••
बोली हे उर्मिला!
तू है दीपक जलाए
उधर इंद्रजीत ने वो दीपक बुझाए।
शक्ति से किया है प्रहार उसने ऐसा
राम जी के पास भी ना कोई अस्त्र ऐसा।
लगता है बुझ जाएगी जीवन ज्योति
तू जिसकी प्रतीक्षा में स्तब्ध बैठी।
उर्मिला फिर बोली ऐ बूंद! जा तू
जरा सतीत्व शक्ति आजमा तू।
यमराज भी प्राण वापस करेंगे
मेरे प्रियतम मुझको वापस मिलेंगे।।

“प्रेम रूपी कल्पवृक्ष”
June 28, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तेरे नैनों से प्रेम की
बरसात हो गई
लड़ झगड़ के देखो
मेरी रात हो गई
प्यार में हार गए हम सौ दफ़ा
क्या करें अब तो जमानत भी जप्त हो गई
सावन में बौर आया लद गया हर वृक्ष
मैं प्रेम रूपी कल्पवृक्ष का अवतार हो गई।।

“पश्चाताप की चादर”
June 27, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
मैं फिर से नींद के आगोश में जाना चाहती हूँ
तेरे नैनो के गंगाजल से गंगा स्नान करना चाहती हूँ
मैं हूँ पतित, पापों की गगरी हूँ
अपने गुनाहों को पश्चाताप की चादर में छुपाना चाहती हूँ।।

ले गई मुझको रोशनी जाने कहाँ…!!!
June 26, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
ले गई मुझको रोशनी जाने कहां!
रहा तिमिर में बसेरा अपना सदा।
कोशिशों की बनाकर के बुनियाद हम,
रोज कोसों चले नंगे पैरों से हम।
बनाती रही हमको महरुम वो,
स्वप्न देखे सदा जब कभी भोर हो।
हम चले दूर तक कारवां बन गया,
मिल गया हमको सब कुछ दूर तू हो गया।।

कैप्टन मनोज पाण्डेय”
June 26, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
कैप्टन मनोज पाण्डेय जी
को नमन है
जिनके बलिदान के कारण हम भारतीय साँस लेते हैं
कारगिल के युद्ध को हम कैसे भूल सकते हैं !
अपने प्राणों को किया न्योछावर
भारत माँ की खातिर
मान बढ़ाया भारत का, मिट गए फर्ज की खातिर
अपनी जन्मभूमि का सम्मान से सिर ऊँचा किया
प्रज्ञा’ ने उस वीर जवान को उसकी जयंती पर
अल्फ़ाज़ो से सजे पुष्पों को अर्पित किया।।

तबाह हो गए…
June 24, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
दुश्वार हो गया जीना अब तो
काटों से छिल गए तलवे अब तो।
मोहब्बत में हुए हम तबाह
लोग कहते हैं,
हम बन गए शायर अब तो।
पथरा गई आँखें इन्तज़ार में उसके,
जागते-जागते हम हो गए पागल अब तो।
छोड़ देगे आज उसे ये इरादा है,
हर रात यही वादा करते हैं हम अब तो।
चरित्रहीन
June 24, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तड़पाने के अलावा और तुमने किया ही क्या है
बार बार मुझको चरित्रहीन कहा है
ये कैसी मोहब्बत है तुम्हारी ?
जिससे प्यार किया उसी को बाजारू कहा है
जो तुम्हारी मोहब्बत में सराबोर होकर
मीरा बन गई
उसको ही गमगीन किया है
तुम्हारे एक शक की खातिर
जो रिश्ता बहुत दूर तक जा सकता था,
उसकी नींव को ही कमजोर किया है।
आधी-सी सांस गई…
June 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
नींद गई रैन गई
सांसें बेचैन भईं
रात गई बात गई
आधी-सी साँस गई
मीत गया गीत गया
आंगन का फूल गया
मेरा सर्वस्व गया
हाय रे! वर्चस्व गया
नहीं गया आज भी
ईर्ष्या और लोभ
मद में हम चूर रहे
कहते हैं लोग।।
भावनाओं के भवसागर में
June 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
सर्वस्व न्योछावर
कर दिया तुझ पर
मोती, माणिक्य
पन्ना, हीरा
हृदय की विक्षिप्त भावनाएं,
क्रूर सम दृष्टियों से
दृष्टिपात करके
यौवन की प्रथम वर्षगांठ पर
हृदय हीन किया तूने•••
हृदयगति हुई मद्धम
स्वांस की ऊर्जावान
गतियों में,
तप्त हुए जाते हैं
वेग के व्याकरण
भावनाओं के भवसागर में
डूबे जाते हैं हम
पार हुए जाते हैं…
तू ही रब है मेरा तू ही धर्म है
June 20, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
फादर्स-डे स्पेशल:-
तेरी उंगली पकड़ कर
बचपन की रेलगाड़ी में
सफर किया
सफर सुहाना था
मन को आनन्द मिला
जीवन की आड़ी-टेढ़ी रेखाओं में
दुखों की बाहुबली भुजाओं में
एक तेरे सहारे से ही ताकत मिली
सागर में ज्यों समाहित एक बूंद हुई
ऐसे ही तूने मुझे गोद लिया
स्नेह मिला तुझसे,
तेरा जो सानिध्य मिला
हे पिता ! आज तुझको नमन है
तू ही रब है मेरा, तू ही धर्म है।।
_____✍️प्रज्ञा शुक्ला
अहंकार ना आए कभी
June 19, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
मेरे भावों में हो संवेदनाएं
इरादा ना हो
किसी को ठेस पहुंचाने का
मलिन हो जाए चाहे तन के कपड़े
इरादा ना हो दिल में मैल रखने का
विश्वास से भरा हो हर रिश्ता
कोई वचन ना बोलूं दिल दुखाने का
मैं स्वयंभू हूं, मैं ही ब्रह्मा हूं
अहंकार ना आए कभी,
आसमान पर छा जाने का।।
नन्हें सुमन हैं
June 13, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
“बाल श्रम निषेध दिवस”
——————
नन्हे सुमन हैं इनसे
क्यों करवाते हो मजदूरी
पढ़ने दो स्कूल में इनको
ना करवाओ अब मजदूरी
खिलेगे नन्हे पुष्प तो
भारत का नक्शा बदलेगा
इनके आगे बढ़ जाने से
इनका भविष्य संभलेगा
ये कोमल टेसू हैं
मुरझा जायेगे झट से
फिर कैसे होगे परिपक्व
सुमन ये हँसते हँसते??
जिंदगी की उलझनों से फुर्सत लेकर
June 12, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जिंदगी की उलझनों से फुर्सत लेकर
आओ बैठो मेरे पास कुछ पल•••
दो आराम अपनी सांसों को
बंद कर दो मुट्ठी में सितारों को
……जुगनू बिछा दो पैरों के तले
आ पंख फैलाकर
आसमान में उड़ चले•••
गर्म हो रहे हों जब
आंखों के समंदर
बर्फीले एहसासों को
भर लो तुम दिल के अन्दर•••
भीग जाओ बारिश की बूंदों में
बिखर जाओ मोतियों-सा तुम खुद में
°°°जिंदगी की उलझनों से फुर्सत लेकर
आओ बैठो मेरे पास कुछ पल•••
कर्तव्य पथ पर बढ़ चल
June 11, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
कर्तव्य पथ पर बढ़ चल
ना फिकर कर
जो मिले राह में मुश्किलें
ना फिकर कर
हौसला बुलंद रख
किस्मत को मुट्ठी में बंद रख
पुष्पों पर चलकर कभी नहीं
मिलती है मंजिल याद रख
कांटो से जब छिलेगा
दामन तुम्हारा
मिलेगी तब ही सफलता याद रख।।
आम में बौर आ गया।।
June 11, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
एक दिन यूं ही अनजाने में
खाया था एक आम
चूस कर उसकी गुठलियां
फेंकी थी
जमीन सूखी ही थी,
फिर कभी बरसात हुई
वो आम की गुठली
पृथ्वी के गर्भ में समा गई,
सावन में उसने खोली दो आँखें
कुछ महीनो में वो
जवान हो गया
आज वर्षों के बाद देखा जब
तुम्हें तो याद आया
मेरे प्रेम रूपी परिपक्व आम में
बौर आ गया।।
—-✍️✍️By pragya shukla
“अभिधा का प्रयोग”

सौन्दर्य एक परम अनुभूति है।।
June 9, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
सौंदर्य एक परम अनुभूति है,
हमारे नेत्रों से आत्मसात होकर
अन्तस तक जाता है।
प्राकृतिक सौंदर्य हर मन को भाता है।
काव्यगत सौंदर्य काव्य के गुण-धर्म
से परिचित कराता है।
विचारों का सौंदर्य व्यक्तित्व को
आकर्षक बनाता है।
दैहिक सौंदर्य कामी बनाता है।
परंतु आन्तरिक सौंदर्य जीवन को
बहुमूल्य बनाता है।।
गीत नया गाता हूँ
June 5, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तेरी कल्पनाओं का
कायल हुआ जाता हूँ
भावनाओं में तेरी
बहता-सा जाता हूँ
शब्द तुम्हारे फूटते हैं
अंकुरित होकर
तेरी स्मृतियों में खोया सा जाता हूँ
दोपहर में तू घनी छांव सी है प्रज्ञा’
तेरी आँखों में डूबा सा जाता हूँ
गीत तेरे बोलते हैं
जो ना बोल पाती तू
तेरे उन गीतों को मैं
एकाकी में गुनगुनाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
गीत नया गाता हूँ ।।
———-✍✍
प्रज्ञा शुक्ला
जब हौसला हो, दृढ़ निश्चय हो..तब क्या डर तूफानों से
June 5, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
खुशियों के रंग फैलाओ
बिखरा दो तुम पुष्पों को
नए नवेले पंख लगाकर
सच कर दो तुम स्वप्नों को
चित चंचल है नयन बिछाए
देख रहा है अम्बर में
चाँद को शायद लाज़ आ गई
जा के चुप गया बादल में
घोर अँधेरा जो छाया है
मिटा दो तुम मुस्कानों से
जब हौसला हो, दृढ़ निश्चय हो
तब क्या दर तूफानों से..!!
“बन्धन में होना बाध्य नहीं”
June 2, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
बन्धन में होना बाध्य नहीं
अपितु एक स्वतंत्रता है
विचारों की स्वतंत्रता,
भावों की स्वतंत्रता,
जीवन के अद्भुत अनुभवों की स्वतंत्रता,
सागर के विशाल गर्भ में
विचरण करने की स्वतंत्रता,
नव- विटप के वातास होने की स्वतंत्रता,
प्रेमपूर्ण आलिंगन के विनिमय की
स्वतंत्रता।।
फिर कोई खत रहा होगा
June 2, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
फिर मुझे याद कर रहा होगा
फिर वो आँसू बहा रहा होगा
उसके नैनों की झील से बहकर
फिर कोई खत आ रहा होगा।।

अमावस की रात बना गया।।
June 1, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
गुंजाइश ही नहीं थी कि
चांद यूँ बदली में अपना मुँह
छुपा लेगा,
मुझे देखेगा और कुछ ना बोलेगा।
मेरी नाउम्मीदी को नकार कर
पूर्णिमा की अनघ चांदनी में संवर कर,
चला गया वो घने बादलों की बाहों में,
मेरी बेचैनी को और बढा गया पूर्णिमा के सुंदर यौवन को
अपने अप्रतिम वेग से
अमावस की रात बना गया।।

“खामोशियां एक राज हैं”
May 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
खामोशियों को अपनी
बस एक राज रहने दो
आज कुछ मोहब्बत की बातें हो जायें,
शिकायतों के पुलिंदे कल खोल लेना,
आज रहने दो।
अंधेरों की, उजालों की,
बातें आज करते हैं,
बड़ा गमगीन है दिल,
गम की बातें आज रहने दो।।

धुयें से सेंकते क्यों हो…!!
May 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस:-
जीवन में ये जहर क्यों
घोलते हो
अपने फेफडों को तुम
धुयें से क्यों सेंकते हो
छोंड़ दो तम्बाकू का सेवन करना
सीख लो तंबाकू छोड़ कर जीना
ये तुम्हारी सेहत को नुकसान
पहुंचायेगा
जीवन को तुम्हारे दुष्कर बनाएगा।।

बहुत रो लिये हम अंधेरों में जाकर..
May 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
क्यों लुटती हुई जिन्दगानी
मिली है
क्यों हर नब्ज़ आज
पानी से भरी है
बहुत रो लिये हम
अंधेरों में जाकर
क्यों हमको ये पीर की निशानी मिली है
ना आँखों में अब रह गये
बाकी आँसू
क्यों वेदना की ये सूरत
पुरानी मिली है???

चीख
May 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
मेरी बेसुध, बेजान
पड़ी रूह
बेआबरू हुआ जिस्म
आज फना हो रहा है
जा रहा है अन्तरिक्ष की
वृहद सैर पर,
जीवन में कुछ लूटेरों
मेरे वजूद को ही मार दिया
मेरे औरत होने पर
एक प्रश्नचिन्ह लगा दिया
धिक्कारती हुई सी चीख निकली
मेरे टूटते जिस्म से,
आवाज रुंध गई जैसे कंठ में
भीग कर
कोयले की कालिख में
मेरा तन
निर्जीव हो गया
जिसने भी सुना मुझे ही
कोसता गया
आज जिन्दगी के मैले बर्तन से
निकल कर,
दुर्गंध छोड़ते समाज के चंगुल से मुक्त हो कर,
जा रही हूँ,
न्याय की आशा नहीं है पर
अभिलाषा लेकर जा रही हूँ।।

कर्जदार होते जा रहे हैं
May 29, 2021 in शेर-ओ-शायरी
जख्मों को हमारे वह
कुरेदते जा रहे हैं,
कुछ इस तरह वह
मुझे आजमा रहे हैं।
मेरी रूह में सांस
धुंधली हुई जाती,
हम उनकी मोहब्बत के
कर्जदार होते जा रहे हैं।
कैसे सहेगी वो…
May 29, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
हे ईश्वर!
उस दिवंगत आत्मा को शांति दे
ममता की घनी छांव आज
उदास हुई
उस माँ की ममता को
शक्ति प्रदान करे
कोख का उजड़ जाना कैसे
सहेगी वो,
भला बेटी बिन अब
कैसे रहेगी वो
काश! ये सिर्फ एक छलावा हो
उस मासूम को अभय दान करे
हे ईश्वर!
उसे शक्ति दे और मन को
शांति प्रदान करे।।
कहां तुम चले गए…!!
May 29, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
रोई तो होगी आज
चांदनी भी,
टपक के गिरी होगी जमीं पर
बूंद बूंद बन के पिघली होगी वो
हाय ! कैसे संभली होगी वो
निराश नैन पथरा गये होंगे
दिल के टुकड़े हो गए होंगे
ना पाई होगी जब
अपने आस पास अपनी गुड़िया वो
लब अवश्य थरथराए होंगे
बोले होंगे बेचैन नैन
बिन कहे कुछ भी
ओ मेरे आंचल के नन्हे पुष्प
‘कहाँ तुम चले गए..!!!
तू अभी जिंदा है…!!
May 29, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
ओ मेरी घृणित, उपेक्षित ईर्श्या!
तू अभी जिंदा है!!
मेरे पीर के तम में
मेरे आज में कल में
पर्वतों की विशालता सम
तू अभी जिंदा है!!
मेरे जीवन में उजास-सी
किसी क्लेश की तलाश-सी
सरिता में मलिन नीरस सम
तू अभी जिंदा है!!
कालसर्प के दंश में
रात्रि के अंक में
राक्षसी प्रवृति सम
तू अभी जिंदा है!!
बेटी का तर्पण
May 29, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
रुक गई सांस,
भर आया हृदय
दुख के सागर में मन डूब गया
व्यथित हुआ
भारी हुई पलकें
तुझसे मिलने को
मन छटपटाने लगा..
कैसे तुझसे अब कहूँ कुछ मैं
कैसे तुझको अब संभालूँ मैं
बाप तो मैं भी हूँ
पीर में डूबा हुआ हूँ
कैसे बेटी का तर्पण करूं अब मैं…

गुरूर है मुझे
May 29, 2021 in शेर-ओ-शायरी
गुरूर है मुझे अपने
चांद से चेहरे पर,
किसी की आरजू मुझे
बेदाग करती है।