अजीब इत्तफ़ाक़ है
अजीब इत्तफ़ाक़ है
अजीब इत्तफ़ाक़ है
तेरे जाने और सावन के आने का
अजीब इत्तफ़ाक़ है
तेरी चुप और मौसम के गुनगुनाने का
अजीब इत्तफ़ाक़ है
मेरे माज़ी और मेरे मुस्कराने का
अजीब इत्तफ़ाक़ है
तेरे मिलने और मेरे ज़ख्म खाने का
अजीब इत्तफ़ाक़ है
तेरे गेसू और घटाओं के छाने का
अजीब इत्तफ़ाक़ है
तेरे तीर और कहीं चल जाने का
अजीब इत्तफ़ाक़ है
मिल के और ग़ुम हो जाने का
अजीब इत्तफ़ाक़ है
बंद आँखें और ख्वाब टूट जाने का
अजीब इत्तफ़ाक़ है
‘अरमान ‘ तेरे और तेरे अनजाने का
राजेश ‘अरमान’
Good
Nice one