इन्तजार

देखते घड़ी की सुइयों को बार- बार हैं
पढ़ते हैं तेरी पाती बार – बार हैं।
कहां हो तुम कि आज इन्तजार है।

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Responses

  1. वाह वाह, क्या सटीक पंक्तियाँ हैं, अति सुन्दर आग्रहपूर्ण भाव से सजी हुई पंक्तियाँ। यह प्रखरता निरंतर बनी रहे।

    1. बहुत सारा धन्यवाद आपका सतीश जी ।आपकी सुंदर समीक्षा हेतु हार्दिक आभार 🙏आपकी प्रेरक समीक्षाएं बहुत मार्ग दर्शन करती हैं।

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