इन्तजार
देखते घड़ी की सुइयों को बार- बार हैं
पढ़ते हैं तेरी पाती बार – बार हैं।
कहां हो तुम कि आज इन्तजार है।
देखते घड़ी की सुइयों को बार- बार हैं
पढ़ते हैं तेरी पाती बार – बार हैं।
कहां हो तुम कि आज इन्तजार है।
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सुन्दर
Thank you suman ji
Very nice lines, geeta ji, great
Thank you very much chandra ji for your nice complement.🙏
👌✍लाजवाब
बहुत बहुत धन्यवाद ऋषि जी
वाह वाह, क्या सटीक पंक्तियाँ हैं, अति सुन्दर आग्रहपूर्ण भाव से सजी हुई पंक्तियाँ। यह प्रखरता निरंतर बनी रहे।
बहुत सारा धन्यवाद आपका सतीश जी ।आपकी सुंदर समीक्षा हेतु हार्दिक आभार 🙏आपकी प्रेरक समीक्षाएं बहुत मार्ग दर्शन करती हैं।
वाह वाह, बहुत सुंदर
बहुत सारा धन्यवाद कमला जी 🙏
Wow, nice lines
Thank you very much chandra ji🙏
बहुत अच्छी कविता, वाह
बहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏
Sunder
धन्यवाद भाई जी 🙏
Nice world
Thanks dear pragya.
Laajvab panktiya
आपका हार्दिक धन्यवाद ईशा जी..
Nice lines
Thank you very much.
बहुत खूब
बहुत बहुत शुक्रिया आपका इंदु जी 🙏