इश्तेहार
खबरें खुलकर बेशुमार हर रोज़ इश्तेहार में डालते हैं,
दिलओ दिमाग के किस्से बेगुनाह बाज़ार में डालते हैं,
मार पीट गैंग रेप मडर मदर-फादर को भी लपेट कर,
आये दिन छत की मुँडेर पर कभी दरार में डालते हैं,
रुपये पैसे का क्या है आज नहीं कल ही दे देना यार,
ऐसा कहते हैं और बेसबर हर घर उधार में डालते हैं,
कुछ सोते हैं सिरहाने रख या चाय के साथ खंगालते हैं,
नसीब जिन्हें दो पल नहीं वो इसे गुलज़ार में डालते हैं।।
राही अंजाना
Good
बहुत सुंदर
Badiya h
Gud job
All the best
वाह
Nice
Awesome