औरत

कभी सूनसान गली तो कभी खुले मैदान में पकड़ ली जाती है,
तू क्यों कटी पतंग सी हर बार लूट ली जाती है,
वो चील कौवों से नोचते कभी जकड़ लेते हैं तुझे,
तू क्यों होठों को खामोशी के धागे से यूँ सी जाती है,
किस्से कहानियों, किताबों में रखती थी तू वजूद अपना,
तो आज हर इश्तेहार में तू अपनी हार क्यों दिखाती है॥
~ राही (अंजाना)

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

चलो पतंग उड़ाएं

चलो पतंग उड़ाएं लूट लें, काट लें पतंग उनकी सभी रंगीनियां अपनी बनायें चलो पतंग उड़ाएं चलो पतंग उड़ाएं। उनके चेहरे की खुशियों को चुराकर…

Responses

New Report

Close