करामात – ए – मय देखिये..
जैसे ही शरीक हुए , महफ़िल – ए – मय में …..
जाम पर जाम होंठो से टकराते गए…..
हर एक घूंट के साथ …..
हम उनके साथ बिताये हुए , संगीन लम्हें भुलाते गए …..
करामात – ए – मय देखिये , जितना भुलाया था उन्हें…
नशा उतरने के बाद वो उतना ही याद आते रहे…..
पंकजोम ” प्रेम “
Kya khoob kahan aapne
sundar…ati sundar
Dhnyawad mittrooo…
nice poem pankaj
aapke vichaar to hamse milte he sir ji
ये महफ़िल ही अपने जैसे यारो की है….मोहित जी और सुक्रिया अनुप्रिया जी
हम उनके साथ बिताये हुए , संगीन लम्हें भुलाते गए
Bahut khob
बहुत खूब