कविता अपनी राजदुलारी
किसी ने पूछा पंडितजी
क्यों लिखते हो आखिर कविता।
क्या कुछ हासिल होता है
या फिर यूँही रहे हो समय बिता।।
छन्द हमारा पिता बन्धुओं
और भाषा अपनी जननी प्यारी।
बेशक तुकबन्दी हो अपनी
पर कविता अपनी राजदुलारी।।
किसी ने पूछा पंडितजी
क्यों लिखते हो आखिर कविता।
क्या कुछ हासिल होता है
या फिर यूँही रहे हो समय बिता।।
छन्द हमारा पिता बन्धुओं
और भाषा अपनी जननी प्यारी।
बेशक तुकबन्दी हो अपनी
पर कविता अपनी राजदुलारी।।
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वाह, भाई जी बहुत सुंदर भाव
शुक्रिया बहिन
बहुत खूब, बहुत सुंदर
कविता से स्नेह को प्रकट करती बेहतरीन पंक्तियाँ। लेखनी क्षमता बहुत ही सुन्दर है। वाह
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति