क्यों न आया बलम हरजाई
सावन भी आया अमावस भी आई।
रिमझिम फुहार संग पावस भी आई।।
बागों में , खेतों में छाई हरियाली।
हाथों में मेंहदी भी मैंने रचा ली।।
दिल के उपवन ने झूला लगाया।
मन के संदेशा से तुझको बुलाया।।
क्यों न आया बलम हरजाई
मैंने रो रो के रतिया बिताई।।
सुंदर रचना…
धन्यवाद
nice
Nice 👏👏
सुंदर प्रकृति चित्रण
एक विरहिणी की वेदना को प्रकट करती हुई सुंदर पंक्तियां