“खामोशी “
ज़माना पुछता हैं चेहरे में गज़ब की कशीश- ए-खामोशी हैं_
कैसे कहे_? हरसू से नूर का तिरगी से भी वास्ता हैं मैं नियूश सा सुनता हूँ दिल हर वक़्त उसका शोर मचाता हैं_
-PRAGYA-
ज़माना पुछता हैं चेहरे में गज़ब की कशीश- ए-खामोशी हैं_
कैसे कहे_? हरसू से नूर का तिरगी से भी वास्ता हैं मैं नियूश सा सुनता हूँ दिल हर वक़्त उसका शोर मचाता हैं_
-PRAGYA-
Please confirm you want to block this member.
You will no longer be able to:
Please note: This action will also remove this member from your connections and send a report to the site admin. Please allow a few minutes for this process to complete.
वाह बहुत सुंदर
Wah