Categories: शेर-ओ-शायरी
Related Articles
रण निश्चित हो तो डरना कैसा
मन शंकित हो तो बढ़ना कैसा रण निश्चित हो तो डरना कैसा जब मान लिया तो मान लिया अब विरुद्ध चाहे स्वयं विभु हों जब…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
🌹🌹 वो पूस की रात 🌹🌹
🌹🌹कभी ना भूलेगी वो 🌹🌹 पूस की रात……. ठंडी सर्द हवाओं और बारिश की बूंदों के साथ…… ⚘⚘⚘ मैं और मेरी तन्हाई बस दो ही…
पूस की रात
कभी ना भूलेगी वो पूस की रात……. ठंडी सर्द हवाओं और बारिश की बूंदों के साथ…… मैं और मेरी तन्हाई बस दो ही थे। उस…
पपीहे की आस(कहानी)
पपीहे की आस जैसी खुशी बच्चे के पैदा होने पर होती हैं ,शायद उससे भी ज्यादा खुशी किसान को बारिश होने पर होती हैं यही…
वाह
धन्यवाद
बढ़िया
🙏🙏
बहुत सुंदर