चुस्की चाय की
वही चाय के दो कप और एक प्लेट लौटा दे,
कोई तो तेरे साथ बीते पलों को वापस लौटा दे,
एक चाय के कप का बना कर झूठा बहाना,
वो तेरा रोज रोज मेरे घर चले आना लौटा दे,
तेरे साथ बैठ कर वो नज़रें मिलाना,
वो चाय की चुस्की वो वक्त पुराना लौटा दे॥
राही (अंजाना)
Nice Sir ji…To bulayie kabhi chai pe 😀
Bilkul aaiye jnab swagat h
nice
Waah bahut khub
bahut khoob
सुन्दर रचना