छोटी बातों में न लग
अब बड़ा तू बन चुका है
छोटी बातों में न लग
ईर्ष्या, विद्वेष, नफरत
ऐसी बातों में न खप।
अन्यथा था तू अर्श से
फिर फर्श में आ जायेगा,
फर्श पर हम जैसे छोटे
लोग ही तू पायेगा।
हम हैं छोटे , बात भी
छोटी हमारी है सदा से,
क्यों पड़ा छोटों के पीछे
न्यून हम, हमको भुला दे।
अब बना मंजिल न हमको
अब बड़ा तू बन चुका है,
और आगे बढ़, क्यों हमको
रोकने को ही रुका है।
अतिसुंदर भाव
बहुत खूब, अति सुन्दर भाव
बहुत ही उम्दा, क्या बात है
सुन्दर
Nice line
बहुत ही सुन्दर भावभिव्यंजना , बेहतरीन शिल्प ,शानदार प्रस्तुति..