जुल्फ़े
इन खुली जुल्फों में न जाने
कितने राज छुपे होते है
कभी चाँद कभी रातें तो
कभी तारे फूल बनके सजे होते है
वो लट आँखों से होठो तक गुजर
जाए तो संमा बदल देती है
न जाने कितने लोगों के उस
काली रात में ख्वाब जगे होते है
इन खुली जुल्फों ने ज़माने को
प्यार का कायल बना दिया
लिखना मेरी फितरत में नही था लेकिन
आपने मौसम को कातिल और
मुझको शायर बना दिया
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Pt, vinay shastri 'vinaychand' - December 2, 2019, 7:47 am
Nice
Ravi Bohra - December 2, 2019, 7:58 pm
Dhanyawaad hi🙏🙏
nitu kandera - December 2, 2019, 7:58 am
Nice
Ravi Bohra - December 2, 2019, 7:58 pm
Thank you so much
देवेश साखरे 'देव' - December 2, 2019, 11:11 am
बहुत खूब
Ravi Bohra - December 2, 2019, 7:59 pm
Dhanyawaad sir hi🙏
Abhishek kumar - December 2, 2019, 11:43 am
Good
Ravi Bohra - December 2, 2019, 7:59 pm
Thank you 🙏
Abhishek kumar - December 3, 2019, 1:09 pm
Welcome
Pragya Shukla - March 30, 2020, 1:00 pm
Good