तालाब- मछली
तालाब!! तू परेशान मत हो
तेरी एक दो मछलियों की
फितरत होती ही ऐसी है
कि किसी नयी मछली के आने पर
मचल उठती हैं ईर्ष्या से,
उन्हें लगता है कहीं
ताज न छीन जाए उनकी बादशाहत का
उसे घेर लेती हैं
रोक देती हैं,
नई मछली समझ जाती है
उनकी मनःस्थिति
उसके सामने असलियत का चेहरा
उजागर हो जाता है,
वाह
thank you
सत्य अभिव्यक्ति
thanks
बहुत खूब
dhanyvaad ji
nice poem
सही कहा श्लेष अलंकार का सुंदर प्रयोग