दुनिया जीतकर मैं ममता हार गयी
चल पड़ी उस राह पर,जहां काटें बहुत थे|
माँ, तेरी फूल जैसी गोदी से उतरकर ये काटें बहुत चुभ रहे थे|
चलते हुए एक ऐसा काटा चुभा था,
कि ज़ख्म से खून आज भी निकल रहा है|
माँ, मंजिल पर तो पहुँच गयी हूँ,
पर इसकी ख़ुशी मनाने के लिए है तू ही नहीं है|
यूं तो मैं तेरी मल्लिका थी,
पर मैं तुझे रानी बनाना चाहती थी|
लेकिन पता नहीं था मुझे कि तेरे दिल में,
मुझे पाने का फ़कीर जिंदा था|
माँ, वो तेरे शब्द जो मैंने सफलता के फितूर में अनसुने किये थे,
आज सिर्फ वो ही दिन रात मेरे कानों को सुकून देते हैं|
तूने कहा था कि ज़िन्दगी ख्वाहिशों से नहीं ज़रूरतों से जीते हैं,
पर मैं तो ख्वाहिशों के पीछे ही पागल थी|
भूल गयी थी कि मेरी ख्वाहिश तेरी ज़रुरत थी,
पर अब…….दोनों ही नहीं हैं|
नाम पाने की अंधी चाहत में मुझे,
तेरे मुझको पाने के आँसू ही दिखाई नहीं दिए|
तू ही मेरी कहानी की कातिब थी,
पर अब……..दोनों ही नहीं है|
माँ, तेरी वो तकिया आज भी गीली है,
बस फ़र्क इतना है की पहले
वो मेरी याद में गिरे तेरे आँसुओं की नमी थी
और आज तेरी याद में गिरे मेरे आँसुओं की नमी है|
जीत गयी हूँ पूरी दुनिया पर मैं तेरी ममता ही हार गयी|
इस कामयाबी पाने की तेज रफ़्तार वाली दौड़ में,
भूल गयी थी की तेरे घुटनों में दर्द होगा|
अब तो बस तेरी यादें ही हैं,टूटे हुए इरादे ही हैं|
सोचती हूँ की तू फिर अपने हांथों से रोटी खिलायगी,
अपने हांथों से मेरी गुथी छोटी बनायेगी,
फिर से मुझे अपनी गोद में सुलायेगी|
सोचूं कि तू रसोईघर में है,
और तेरे हांथों में मेरे लिए खाना है|
पर पीछे मुड़कर देखूं तो वहां,
कामवाली दीदी का सिर्फ बहाना ही है|
माँ तेरी पायल आजकल मैं ही पहनने लगी हूँ,
ताकि खुदको तेरे होने का एहसास करा सकूं|
पर ये पायल भी मेरे पैरों में बजती नहीं,
और ये मुझमे जचती भी नहीं|
माँ, दिन रात काम करके तेरा सुकून चाहती रही,
पर भूल गयी कि मेरी नींद में तेरा सुकून था|
माँ की ममता एक ऐसा ही फ़र्ज़ है,
कभी न अदा होने वाला क़र्ज़ है|
माँ, तेरी यादों में लिपटकर रो चुकी हूँ,
तेरे साथ रहने के सारे लम्हे अब खो चुकी हूँ|
लगातार अपडेट रहने के लिए सावन से फ़ेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, पिन्टरेस्ट पर जुड़े|
यदि आपको सावन पर किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो हमें हमारे फ़ेसबुक पेज पर सूचित करें|
Akanksha - May 10, 2018, 7:32 pm
nice
Mithilesh Rai - May 10, 2018, 7:43 pm
बहुत खूब
bhoomipatelvineeta - May 10, 2018, 7:57 pm
धन्यवाद|
राही अंजाना - May 11, 2018, 2:58 pm
Waah
bhoomipatelvineeta - May 11, 2018, 10:58 pm
धन्यवाद आपका |
Mithilesh Rai - May 11, 2018, 9:19 pm
अच्छी रचना
bhoomipatelvineeta - March 31, 2020, 8:16 am
Thank u
महेश गुप्ता जौनपुरी - September 11, 2019, 12:34 am
वाह बहुत सुंदर
Kanchan Dwivedi - March 8, 2020, 7:40 pm
Wow 💓 touching
bhoomipatelvineeta - March 31, 2020, 8:17 am
Thank u so much
Satish Pandey - July 31, 2020, 10:27 am
वाह वाह
Satish Pandey - July 31, 2020, 10:27 am
बहुत खूब लिखा है
bhoomipatelvineeta - July 31, 2020, 11:01 am
Dhanyawaad