दूसरे को रुलाना नहीं जिंदगी

प्यार सबसे करो,
छोड़ दो नफ़रतें,
नफरतों के लिए है नहीं जिंदगी।
जितनी भी हो सके
बाटों सबको खुशी
दूसरे को रुलाना नहीं जिंदगी।
जो भी मेहनत से पाओ
रहो उसमें खुश
हक हड़पना किसी का नहीं जिंदगी।
राह में कोई दुखिया
मिले गर कहीं
उससे नजरें चुराना नहीं जिंदगी।
प्यार सबसे करो,
छोड़ दो नफ़रतें,
नफरतों के लिए है नहीं जिंदगी।
— डॉ0 सतीश पाण्डेय

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. कवि ने इस रचना में अपने सुंदर भाव तथा कोमल भावों को व्यक्त किया है इस कारण या रचना संवेदना की दृष्टि से अति उत्तम है

New Report

Close