नेह की सुन्दर कलम से”
सावन की आभा खिले
खिले विश्व में चहुँ ओर
लेखनी मेरी प्रखर हो
हो दीप्तिमान चहुं ओर
नेह की सुंदर कलम से
लिखा हुआ साहित्य
स्वार्थ हीन हो हिय मेरा
ईर्ष्या हीन कर्तव्य
दीनों के दिल की पीर हो
बेसहारे की हो सहाय
कुछ ऐसा लिख जाऊँ मैं
हो चहुँ ओर सुनाय।।
सुंदर भावना
आपकी हर कविता में वास्तविकता साफ झलकती है। कविता मुझे अच्छी लगी।
मन बहक गया आपकी कविता को अवलोकन कर के ।बहुत ही सुंदर प्रस्तुति है।
आपकी सुंदर समीक्षा हेतु आपका धन्यवाद।
आप हमेशा ही मेरा हौसला वर्धन करते हैं
आपकी समीक्षाएं पढ़कर मुझे साहित्य सृजन की प्रेरणा मिलती है।।
एक बार फिर से बहुत-बहुत धन्यवाद
बहुत सुंदर पंक्तियां
अतिसुंदर अभिव्यक्ति
धन्यवाद आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूँ