Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Related Articles
मैं बस्तर हूँ
दुनियाँ का कोई कानून चलता नहीं। रौशनी का दिया कोई जलता नहीं। कोशिशें अमन की दफन हो गयी हर मुद्दे पे बंदूक चलन हो गयी॥…
जो आत्मनिर्भर है
1 जो आत्मनिर्भर है, उन्हें आत्मसम्मान की शिक्षा दे रही हैं क्यूँ हमारी सरकार? मजदुर अपने बलबूते पर ही जिन्दगी जीते, ये जाने ले हमारी…
याद तो बहुत आओगे
आदरणीय ‘कार्टूनिस्ट ‘ प्राण जी को श्रद्धांजलि याद तो बहुत आओगे और भूलना बेहद मुश्किल तुम मेरे यादों में बसे तुम मेरे बचपन के साथी…
श्री राम जी के नाम एक पाती
विजयादशमी का यह पावन पर्व वर्षों से समाज को सच्चाई का सबक सिखाऐ पर आज यह एक प्रश्न उठाये आज प्रतयंजा कौन चढ़ाऐ कौन बाण…
वो हो तुम, वो हो तुम और सिर्फ तुम……
एक आस दिल की, एक विश्वास ज़िन्दगी को वो हो तुम, वो हो तुम और सिर्फ तुम दिल को जिसकी चाहत, करी दिल ने जिसकी…
Wahh