प्रणय निवेदन

ये कैसा जहरीला इश्क है तुम्हारा?
लहू में गर्म शीशे सा फैल जाता है।
सीने में हलचल मचाकर कर भी भला,
खामोशी से कोई गीत गुनगुनाता है।
गहरी कत्थई आंखों से मुझ में
कुछ ढूंढते से नैन तुम्हारे।
धड़कनों की तीव्रता पढ़कर …
महसूस करते ….
वो कटीले नैन तुम्हारे।
मुझे एकटक बिना पलक झपकाए
नजरें गड़ा कर देखते,
वो अतुल्य नैन तुम्हारे।
वो कभी ना खत्म होने वाले
नशे के जाम से
नशीले
वो शराबी नैन तुम्हारे।
और वो तुम्हारा
एकटक देखते रहना।
और हमारा …
उस एक ही पल में ..
सदा के लिए
तुम्हारा हो जाना
याद है हमको।
याद है हमको
भीड़ में भी
आंखों का आंखों से प्रणय निवेदन।
वो पल वहीं बर्फ हो गया
समा गया सदा के लिए
इस दिल में हमारे।
निमिषा सिंघल
अतिसुंदर
Thank you
Nice
Thanks
धन्यवाद
भावपूर्ण रचना।
Dhanyavad
Nice
Thank you
Wah
Thank you so much
Nice
Thanks dear
बढ़िया
Thanks
Good
🙏🙏