Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
नज़र ..
प्रेम होता दिलों से है फंसती नज़र , एक तुम्हारी नज़र , एक हमारी नज़र, जब तुम आई नज़र , जब मैं आया नज़र, फिर…
सच्चाई लिखना सीखा है
तुमसे ही लिखना सीखा है तुमसे से ही कहना सीखा है, जो बात उगी भीतर के मन में उसको ही कहना सीखा है। सच्चाई तो…
अब कि बार दिवाली में
अब कि बार दिवाली में…. देश का पैसा देश में रखना खर्चा मत करना चाइना की लाईट पर तन मन को प्रशन्नचित रखना कदम से…
दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
अति सुन्दर सृजन