बस प्यार चाहिए
हथियार न बन्दूक न तलवार चाहिए ,
इंसान से इंसान का बस प्यार चाहिए.
है बंद गुलिस्ता ये मुद्दतो से मीर,
इस में फकत गुल ओ बहार चाहिए.
नेकी की राह बड़ी बेरहम है ना,
नेकी के मुसाफिर को तलबगार चाहिए.
न भीड़ हो अन्धो की,गूंगो की,और बहरों की यहाँ,
जो हो शरीफ उनका मुश्कबार चाहिए.
ये इश्क की सजा है या तूणीर का कहर ,
ये तीर इस जिगर के आर पार चाहिए.
ग़मगीन जो समां हो मेरा नाम लेना मीर ,
चेहरे पे ख़ुशी और दिल में प्यार चाहिए.
….atr
Wah
बहुत सुंदर ढ़ेरो बधाई
Wow
Such a great poetry by you,👏👏👏👏👏👏👏
वाह वाह
अतिसुन्दर