Categories: मुक्तक
Related Articles
लेख
कर सकें तो मदद करें मजदूर पर राजनिति नहीं आये दिन देखने को मिल रहा है सभी राजनीति पार्टियां मजदूरों पर राजनीति करने के लिए…
क्यूं नहीं समझते
हम क्यूं नहीं समझ पाते हैं मजदूरों की लाचारी को, उधारी का ठप्पा लगाकर ना देते पैसे मजदूरों की दिहाड़ी को, मजदूर दिवस मनाने को…
वह रहने वाली महलों में, मैं लड़का फुटपाथ का ।
वह रहने वाली महलों में, मैं लड़का फुटपाथ का । उसकी हर एक अदा पे मरना यही मेरा जज्बात था । वह रखने वाली टच…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…
Nice
Good