मत खोना विश्वास
खो जाये सब कुछ मगर, मत खोना विश्वास,
गया भरोसा बात का, होता है परिहास।
होता है परिहास, सभी हल्का कहते हैं,
बिना पूर्ण विश्वास सभी दूरी रखते हैं।
कहे लेखनी बीज, भरोसे का तू अब बो,
उगा भरोसा आज, भरोसा अपना मत खो।
खो जाये सब कुछ मगर, मत खोना विश्वास,
गया भरोसा बात का, होता है परिहास।
होता है परिहास, सभी हल्का कहते हैं,
बिना पूर्ण विश्वास सभी दूरी रखते हैं।
कहे लेखनी बीज, भरोसे का तू अब बो,
उगा भरोसा आज, भरोसा अपना मत खो।
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बहुत सुन्दर पंक्तियाँ
बहुत बहुत धन्यवाद, आभार
बहुत सुंदर भाव पूर्ण रचना
सादर धन्यवाद शास्त्री जी
अति उत्तम रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत शानदार रचना
धन्यवाद जी
कहे लेखनी बीज, भरोसे का तू अब बो,
उगा भरोसा आज, भरोसा अपना मत खो।
___________ किसी भी व्यक्ति को अपना भरोसा नहीं खो देना चाहिए , इसी तथ्य पर आधारित कवि सतीश जी की छंद शैली में बहुत शानदार रचना अति उत्तम लेखन ।
आपने इतनी सुन्दर समीक्षा की है, बहुत सक्षम लेखनी है आपकी। बहुत बहुत धन्यवाद
अति सुंदर