महफ़िल में
महफ़िल में आइए ,
ज़रा दुपट्टा ओढ़ कर
हर शख़्स की नज़र,
आप पर ही है ..
*****✍️गीता
महफ़िल में आइए ,
ज़रा दुपट्टा ओढ़ कर
हर शख़्स की नज़र,
आप पर ही है ..
*****✍️गीता
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वाह वाह
बहुत बहुत धन्यवाद आपका भाई जी 🙏
कवि गीता जी द्वारा प्रस्तुत यह चार पंक्तियों की कविता अभिधा के साथ-साथ लक्ष्यार्थ प्रस्तुत करती प्रतीत होती है। जो कि किसी भी शास्त्रार्थ में पूरी तैयारी के साथ पेश होने की प्रेरणा भी दे रही है। अभिधा और लक्षणा दोनों से भरपूर सुन्दर रचना।
आपकी इतनी इतनी ज्यादा प्रेरक और शानदार समीक्षा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी ।आज तो समीक्षाओं की वर्षा हो रही है हम पर । मात्र चार पंक्तियों की कविता के लिए इतनी सुन्दर समीक्षा । बहुत बहुत शुक्रिया सर 🙏
बहुत खूब, अत्यंत उम्दा
बहुत बहुत शुक्रिया आपका पीयूष जी 🙏
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद आपका पीयूष जी 🙏
Very nice गीता मैम
Thank you chandra ji for your precious compliment.
नजाकत भरी रचना
Thanks for your lovely complement.
अतिसुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद आपका कमला जी🙏