मुक्तक
मेरी तन्हाई से दिल की बात होने दो!
मेरी जिन्द़गी की तन्हा रात होने दो!
सरहदें पिघल रही हैं तेरी यादों की,
हसऱतों से मेरी मुलाकात होने दो!
Composed By #महादेव
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Udit jindal - July 19, 2016, 7:02 pm
nice sir ji
राम नरेशपुरवाला - September 23, 2019, 7:53 am
वाह
राम नरेशपुरवाला - September 23, 2019, 7:54 am
Good
Pragya Shukla - December 9, 2019, 8:36 pm
Good