मुक्तक
ख़्वाबे-वफ़ा के ज़िस्म की खराश देखकर
इन आँसुओं की बिखरी हुई लाश देखकर
जब से चला हूँ मैं कहीं ठहरा न एक पल
राहें भी रो पड़ीं मेरी तलाश देखकर
©® लोकेश नदीश
ख़्वाबे-वफ़ा के ज़िस्म की खराश देखकर
इन आँसुओं की बिखरी हुई लाश देखकर
जब से चला हूँ मैं कहीं ठहरा न एक पल
राहें भी रो पड़ीं मेरी तलाश देखकर
©® लोकेश नदीश
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bahut ache sir!
शुक्रिया
राहें भी रो पड़ीं मेरी तलाश देखकर ……. Jab Raho nein liya jaan aapka dard…hum to insaan hain akhir….Subhan Allah
शुक्रिया
bahut khoob!
शुक्रिया
good