मेरा छोटा सा संसार
आतंक फैला है इस दुनिया में
जैसे लगा आतंक का मेला।
झूठ इतना फैल गया,
जिससे सच खड़ा है, बेचारा अकेला।
लोग कहते है कि, आंतक हमे हटाना है
और अपने देश को, आतंक से मुक्त कराना है।
लेकिन कोई देश की बात न करके
क्या ये कहता है, कि मुझे तो बस
इस संसार को खुशहाल बनाना है।
अरे! अपने स्वार्थ के लिए जीना छोड़दो
मै तो पूछता हु, क्यो लड़ते हो सीमाओ पर?
क्या है शहर, क्या देश
क्या कभी हम गर्व से कह पायेंगे
कि ये संसार ही है, हम सबका एक घर।
Nice
Thnx
वाह बहुत सुंदर रचना
Good
Nice