मेरे लफ्ज़

मेरे लफ्ज़ ग़ुलाम बन गए
तेरे लफ़्ज़ों की सरफ़रोशी से
राजेश’अरमान’

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ए वतन ए वतन तेरी सरफ़रोशी मे खो जाए मेरा तन बदन ए वतन ए वतन तेरी परस्तिश मे जी जाऊ मै सारा जीवन वैसे…

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