मैं रहूँगा कहाँ ???
बहुत कोशिशें कर ली उसे मनाने की,
राहें भी ढूंढी दिल में उतर जाने की ।
पर नाकाम ही रहे हर कोशिश में हम,
दिल उदास हो गया गम में डूबे हम…
फैसला कर लिया उसे
भूल जाऊँगी,
चाहे कितना भी बुलाए ना
पास जाऊँगी…
सारे कसमें वादे भी हमनें तोड़ दिए,
यादों के गुप्तचर भी मैनें कब के
छोड़ दिए …
पूरा इन्तजाम कर लिया उसे भुलाने का,
ख्व़ाब भी छोड़ दिया मैनें उसको पाने का…
निकालने जब उसको मैं चली दिल से,
बेबस सी लगी खुद को मैं फिर से…
फिर सोचा उसे दिल से ना मैं निकाल पाऊँगी,
जो निकाल भी दिया तो ना जी पाऊँगी…
मेरे अंतर्मन से एक आवाज आई:-
दिल से निकालना उसे मुनासिब है नहीं,
मगर दिल निकालने में तो कोई हर्ज़ नहीं…
दिल चीरने चली जब मैं तो किसी कहा…
दिल निकाल तो दोगी पर मैं रहूँगा कहाँ….
Nice
थैंक्स
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क्या खूब
धन्यवाद
👌👌
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👌👌
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Sundar
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Nyc
🙏🙏
Good
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Bahut sundar