मैथिली गीत
सगरों साल बहानेबाजी
आय नञ चलत सजना।
धनतेरस में चांदी नाही
चाही सोनक गहना।।
पैरक पायल नहियें लेबय
लेबय हाथक कंगना।
धनतेरस में चांदी नाही
चाही सोनक गहना।।
नञ औंठी न लेबय नथिया
कर्णफूल नञ चाही।
सब कंजूसी छोड़ि छाड़ि केॅ
जुनि करू कोताही।।
चमचम हीरा मोती लागल
लेबय सोनक कंगना।
धनतेरस में चांदी नाही
चाही सोनक गहना।।
हम कोनो उपहार न मांगी ।
नौलक्खा हम हार न मांगी। ।
‘विनयचंद ‘हम अहीं के प्यारी
नञ छी कोनो अदना।
धनतेरस में चांदी नाही
चाही सोनक गहना।।
वाह भाई जी मौके का लाभ उठा रही हैं भाभी जी
दिलवा ही दीजिए अब तो सोने का गहना
धनतेरस के पर्व पर बहुत सुंदर रचना
धन्यवाद
मीठी भाषा का प्रयोग
एवं सुंदर शिल्प विनोदप्रिय रचना.
शुक्रिया