मौत की नींद
बेजान नजरे जा टिकी थी
उसके चेहरे पर
जब जिस्म से जान ये
जुदा हो गई
तड़प रहे थे हम
मरने के बाद भी
यह मासूम आंखें
किस कदर रो गई
दिल तो किया
फिर जी उठूँ और पौंछ दू
उन आंखों को
जीवन का एक घोर दरख्त
मैं सहेजू प्रेम की सॉखों को
पर लौट के वापस आ ना सके
मौत की इस दुनिया में
इस कदर खो गए
फिर चाह कर भी जागना सके
मौत की नींद हम जब सो गए
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Suman Kumari - September 1, 2020, 11:30 am
अपनों के बिछङने का दर्द ही कुछ ऐसा है, लब्ज़ मिलते नहीं अश्क चेहरे को भिगोता है ।
Priya Choudhary - September 1, 2020, 11:43 am
Thankyou 🙏🙏
Satish Pandey - September 1, 2020, 12:22 pm
बहुत खूब,
Priya Choudhary - September 1, 2020, 5:01 pm
धन्यवाद आपका
Geeta kumari - September 1, 2020, 12:33 pm
मृत्यु के बाद का सजीव और संजीदा वर्णन।
सुंदर प्रस्तुतीकरण
Priya Choudhary - September 1, 2020, 5:01 pm
Thankyou 🤗
Rishi Kumar - September 1, 2020, 12:59 pm
वाह काफी खूबसूरत
Priya Choudhary - September 1, 2020, 5:02 pm
Thankyou 🙏
Pragya Shukla - September 1, 2020, 2:36 pm
मार्मिक
Priya Choudhary - September 1, 2020, 5:03 pm
🙏🙏
Pragya Shukla - September 1, 2020, 2:54 pm
Beautiful poem dear
Priya Choudhary - September 1, 2020, 5:03 pm
thank you so much🤗