यक्षिणी की वेदना
यक्षिणी की वेदना के शूल:-
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प्रश्न करेंगे
खुदा से अभी हम
क्यूं ना आया है चंदा
रोज देखें गली हम…
वो नादान है
थोड़ा दिल का है नाजुक
उसके रस्ते में गुलशन के
माफिक बिछे हम
उठाई कलम आज
एक अर्से के बाद
भूल बैठे थे उसको
जिसके आदी हुए हम
अनुराग से भरा फरवरी भी गया
क्यूं ना आया वो महबूब
जिसकी खातिर जिये हम…!!
यक्ष और यक्षिणी की
पौराणिक कथा को
कविता में पिरोकर
जीवंत बनाया गया है
और उसकी वेदना का
मनोहप मार्मक वर्णन किया
गया है
बहुत खूब
यक्षिणी की वेदना के शूल:-
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प्रश्न करेंगे
खुदा से अभी हम
क्यूं ना आया है चंदा
रोज देखें गली हम…
वो नादान है
थोड़ा दिल का है नाजुक
उसके रस्ते में गुलशन के
माफिक बिछे हम
उठाई कलम आज
एक अर्से के बाद
भूल बैठे थे उसको
जिसके आदी हुए हम
अनुराग से भरा फरवरी भी गया
क्यूं ना आया वो महबूब
जिसकी खातिर जिये हम…!!
पूरी कविता इन्द्र देव की कुत्सित
सोंच को दर्शाती है