याद हैं वो गुजरे जमाने!!
याद हैं वो गुजरे जमाने
तुमको?
जब प्रीत से बढ़कर
और कुछ भी न था।
याद हैं वो गुलिस्ता मुझको
जहाँ तेरे और मेरे सिवा
कुछ भी न था।
कुछ दूर खड़े तुम थे
कुछ दूर खड़े हम थे,
याद है क्या तुमको
मेरी बाँहों में आना?
आज़ादियां कहां अब
तेरे मेरे मिलन की,
तेरा नज़र उठाना
मेरा नज़र झुकाना।
बरसात की वो बूंदें
और तेरा भीग जाना,
तेरे ही दम से खुश था
मेरे दिल का आशियाना।
सुन्दर रचना
थैंक्स फॉर कमेंट्स
आपकी कविता पढने के बाद गुजरे पल याद आ गए।
बहुत बहुत आभार 🙏🙏
बहुत खूब
🙏🙏
वाह
🙏🙏
👏👏
बहुत ही बढ़िया
धन्यवाद