रण शंख का अब नाद हो
प्रज्वलित ज्वाला हुई है
रण शंख का अब नाद हो
शत्रु जो पुलकित हुआ है
उसका करो अब नाश तुम।
न रोको अभी तुम भावना को
रक्त का उबाल थमने से पहले
दुश्मन को पंहुचा दो काल के उस गार में
प्रज्वलित ज्वाला हुई है रण शंख का अब नाद हो।
वो हमारी भावना को विवशता कहते रहे
उनके दिए हर जख्म को, हमने सदा हंसकर सहे
पर वक़्त है बदलाव का, और आंधी भी अब आयी है
देश के दुश्मन की चालें, इस मूड पर हमको ले है।
तुम दिखा दो रास्ता, उसको काल के गार का
नापाक उसकी हरकतों पर, अब अभी अंकुश लगे
रण भेदियों के नाद को, टोको नहीं टोको नहीं
माँ भर्ती के वीर है, उनको अभी रोको नहीं।
दुश्मनो की हरकतों का, अब उन्हें ईनाम दो
यह वक़्त है बदलाव का, रण शंख का अब नाद हो
उन शहीदों की आत्मा को, दो यही श्रद्धांजलि
दुश्मन की सांसे छीन लो, दुश्मन की सांसे छीन लो।
प्रज्वलित ज्वाला हुई है,रण शंख का अब नाद हो
शत्रु जो पुलकित हुआ है,उसका अब बस शर्वनाश हो।
वीर रस से ओतप्रोत सुन्दर रचना जोशी जी।
उत्साहवर्धन हेतु आभार🙏🙏
वीर रस की सुंदर कविता
धन्यवाद ।
अति सुन्दर भाव
साभार🙏🙏🙏
सुंदर