रमता योगी बहता पानी

JAY SHRI RAM

वृक्ष कबहुँ नाही फल भखे,
नदी ना संचे नीर
परमारथ के कारण साधुन धरा शरीर ।।
———————————————–
रमता योगी बहता पानी
कभी न रूकता सुनो रे भाई!
जिसको जिससे मिलना है
मिलकर ही रहेगा ।
जो मरा है अबतक
उसको एक दिन जीना ही पड़ेगा ।।
—————————————
रमता योगी बहता पानी
कभी न रूकता सुनो रे भाई! ।।1।।
———————————
मन-माया लाख कोशिश कर ले,
नैनन को दबाने को
पर एक दिन आत्मा तो परमात्मा से मिलती ही है ।।
——————————————————-
रमता योगी बहता पानी
कभी न रूकता सुनो रे भाई! ।।2।।
————————————–
मोहान्ध कब-तक होओगे
कब-तक अंदर की आवाज को दबाओ
एक-ना-एक दिन खूद को जानोगे ही
उस-दिन खूद को पाओगे ।।
———————————–
रमता योगी बहता पानी
कभी न रूकता सुनो रे भाई! ।।3।।
————————————–
राम भक्त विकास कुमार

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

+

New Report

Close