लघुकथा
आत्मकथा
दोस्तो मैं बहुत गरिब परिवार से रह चुका हूॅ बात उस समय की है जब मै क्लास सेकेंड में पढता था ।उस समय मुझे बडी ही मुश्किल से किताब और कलम के पैसे मिलते थे ।उस समय घर पर मैं कलम खरिदने के लिए पैसे मांगे तो मुझे नही मिला मेरी माँ बोली बेटा एक दो दिन चलाओ इसके बाद दिला दुगी ।
मैं दुसरे दिन स्कूल चला गया और बिना होम वर्क किये स्कूल में मेरा पीटाई हुआ ।और मैं घर आकर बोला मैं कल स्कूल नही जाऊंगा ।
मेरे बगल मे एक अंकल रहते थे जो स्मोकिंग करते थे उन्होने मुझे बुलाया और कहा बेटा मेरे लिए बाजार से सिगरेट लेकर आ जाओ । मैंने पैसा लेकर जैसे ही आगे बढा वो मुझे रोक कर बोले बेटा एक रूपये का तुम कुछ खा लेना ।मैं बोला ठिक है अंकल मैं बाजार जाकर उनके लिए सिगरेट लिया और एक रूपये का अपने लिए कलम खरिदा और मैं बहुत ही गर्वित होकर कलम लेकर वापस आ गया ।और अंकल को सिगरेट और पैसे वापस किया ।अंकल ने पुछा बेटा कुछ खाया मैं बोला हा अंकल खाया उस दिन को मैं आज तक नही भूल पाया ।मेरे आज तक समझ में नही आता कि मैं उस दिन झुठ बोलकर सही किया कि गलत ।
महेश गुप्ता जौनपुरी
मोबाइल – 9918845864
उफ़ गरीबी
बहुत बहुत आभार
☹️
,,👍
Nice
Wah
waah ji waah