वजह हुआ करती है..
‘वजह हुआ करती है नज़रों के झुक जाने में,
बेबाक आँखों में शर्मिन्दगी का सलीका नही होता..
वो तोड़ सकते हैं मेरे यकीं को किसी भी वक्त मगर,
बेरुखी जताने का ये आखिरी तरीका नही होता..’
– प्रयाग
‘वजह हुआ करती है नज़रों के झुक जाने में,
बेबाक आँखों में शर्मिन्दगी का सलीका नही होता..
वो तोड़ सकते हैं मेरे यकीं को किसी भी वक्त मगर,
बेरुखी जताने का ये आखिरी तरीका नही होता..’
– प्रयाग
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वो तोड़ सकते हैं मेरे यकीं को किसी भी वक्त मगर,
एक श्रेष्ठ कवि की श्रेष्ठ रचना
बहुत बहुत आभार आपका
Very nice
Thanks For Compliment
बेहद शानदार रचना ।
बहुत शुक्रिया आपका
बहुत सुंदर पंक्तियां
प्रोत्साहन के लिए आपका आभार
Beautiful
Thank You Anu Ji
बहुत खूब
Very Thankful To You
Good
बहुत शुक्रिया आपका
बहुत ही उम्दा
धन्यवाद जी
अतिसुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद