” वक़्त लगता हैँ यहाँ “
वक़्त लगता हैं यहाँ , इंसान को इंसान समझने में …….
वक़्त लगता हैं यहाँ , पत्थर को भगवान समझने में ……
आधी उम्र बीत जाती हैँ सोचने सोचने में ..
क्योंकि वक़्त लगता हैं यहाँ , जीने के अरमान समझने में …..
पंकजोम ” प्रेम “
वक़्त लगता हैं यहाँ , इंसान को इंसान समझने में …….
वक़्त लगता हैं यहाँ , पत्थर को भगवान समझने में ……
आधी उम्र बीत जाती हैँ सोचने सोचने में ..
क्योंकि वक़्त लगता हैं यहाँ , जीने के अरमान समझने में …..
पंकजोम ” प्रेम “
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Bahut hi naayab kavita
Thnqu pnna ji..
waqt lagta h……sukhanwar banne me….nice
Waah kya khub khaa..
behatreen
Sukkriyaa ankit bhai..
shaandaar!
Tnquuu broo…
वाह
आधी उम्र बीत जाती हैँ सोचने सोचने में ..
उम्दा लेखन