संदेशा

कड़कती बिजली की तरह चमचमाती हुई आती हो और सर्द हवा सी छू के निकल जाती हो |
इंतज़ार करते हुए तेरा मैं अक्सर ठिठुर जाता हूं संदेशा जो न आए तेरा तो व्याकुल हो जाता हूं |

नींद में होता हूं जब संदेशा आता है तेरा, चश्मा चढ़ा के तब हाथ रजाई से बाहर निकालता हूं |
कश्मकश सी बनी रहती है हर रोज सुबह – श्याम बस इसी बेक़रारी में, नींद पूरी न होने से मैं अक्सर थक जाता हूं |

अगली बार कब आए संदेशा तेरा बस बैचेन अभी से हो जाता हूं |
सांस लेने भर तक तुझे देख सकूं ? ये सोच के अधीर मन को पाता हूं |

खुद को खो चुका हूं मैं ख्यालों में तेरे, जी नहीं लगता अब किसी काम में मेरे |
पल भर के लिए ही सही पर तू पास हो, झूठा ही सही पर दिल में तेरे भी प्यार हो |

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