संदेशा
कड़कती बिजली की तरह चमचमाती हुई आती हो और सर्द हवा सी छू के निकल जाती हो |
इंतज़ार करते हुए तेरा मैं अक्सर ठिठुर जाता हूं संदेशा जो न आए तेरा तो व्याकुल हो जाता हूं |
नींद में होता हूं जब संदेशा आता है तेरा, चश्मा चढ़ा के तब हाथ रजाई से बाहर निकालता हूं |
कश्मकश सी बनी रहती है हर रोज सुबह – श्याम बस इसी बेक़रारी में, नींद पूरी न होने से मैं अक्सर थक जाता हूं |
अगली बार कब आए संदेशा तेरा बस बैचेन अभी से हो जाता हूं |
सांस लेने भर तक तुझे देख सकूं ? ये सोच के अधीर मन को पाता हूं |
खुद को खो चुका हूं मैं ख्यालों में तेरे, जी नहीं लगता अब किसी काम में मेरे |
पल भर के लिए ही सही पर तू पास हो, झूठा ही सही पर दिल में तेरे भी प्यार हो |
लगातार अपडेट रहने के लिए सावन से फ़ेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, पिन्टरेस्ट पर जुड़े|
यदि आपको सावन पर किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो हमें हमारे फ़ेसबुक पेज पर सूचित करें|
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - December 7, 2020, 2:42 pm
बहुत खूब
Suman Kumari - December 7, 2020, 5:59 pm
सुन्दर
Pragya Shukla - December 8, 2020, 12:39 am
वाह!
इसे कहते हैं अति उत्तम रचना