हे प्रभु प्रीतम
मार्गदर्शन से तेरे
होते सब काम
हो जब थकान
तुझ में विश्राम
हे प्रभु प्रीतम
हे दया निधान
आनंदित रहूं सदा
करूं तेरा ध्यान
सुबह रहे तेरा नमन
कर्म हो तेरा सिमरन
तुझ से विलग हो सिहरन
सदा रहो देव मुझे स्मरण
रिश्ते तेरे सम्मान रहे
कृतियों के लिए आदरभाव रहे
अच्छाई पर ही ध्यान रहे
नहीं खुद पर अभिमान रहे
“सुबह रहे तेरा नमन, कर्म हो तेरा सिमरन” वाह, प्रातः काल में प्रभु पर इतनी सुन्दर कविता, सुबह प्रभु का नमन हो और कर्म ही प्रभु का सिमरन हो ।अति सुंदर शिल्प और शब्दावली का प्रयोग है । अति सुन्दर रचना
बहुत खूब
Nice
बहुत सुंदर