Categories: शेर-ओ-शायरी
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
चाहती हूँ मैं
दौङना चाहती हूँ मैं, क्या मुझे वो राहें दोगे? दुनिया को देखना चाहती हूँ मैं, क्या मुझे वो नज़रें दोगे? अपने दिन और रातों को…
हंसाकर कहीं तुम रुला तो न दोगे
हंसाकर कहीं तुम रुला तो न दोगे, कोई जख़्म फिर से नया तो न दोगे। हसीं वादियों के सपने दिखाकर, कहीं यार तुम भी दग़ा…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
अनकही बाते
बिन कहे क्या तुम समझ जाओगे समझने कि तकलीफ उठा पाओगे या फिर पूछने पर वही थम जाओगे सर उठाकर ना कह पाओगे स्याही के…
वाह
Thanx
वाह
Thanks
Nice
👏👏👏👏
Very nice lines
धन्यवाद, plz comment on my new poem महात्मा गाँधी
Nice
Good