आ के मिल
कोई जब जाता है, दूर कहीं,
यादें छोड़ जाता है, पास यहीं।
उससे कहो अपनी यादों से तो आ के मिल,
एक बार ही सही, फिर पहले सा आ के खिल।
यूं ही आजा एक बार कभी,
अच्छा, फिर से लौट जाने के लिए ही मिल,
तू ना आएगा, तो हम चले आएंगे, तेरे दर पे
चल ये ही सही,
बेचैन हुआ जाता है, कुछ चैन तो पायेगा ये दिल।
Khoobsoorat
बहुत बहुत धन्यवाद
बेहद खूबसूरत खयाल
बहुत शुक्रिया जी 🙏
बहुत सुंदर
धन्यवाद जी
बहुत सुन्दर कविता की रचना की है आपने, शानदार निखार है लेखनी में, वाह
आपकी सुंदर समीक्षा के लिए आपका बहुत सारा धन्यवाद🙏
हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया। अच्छी समीक्षाएं उत्साह वर्धन करती हैं।
स्वागतम
Nice
सादर धन्यवाद भाई जी 🙏
सुन्दर अभिव्यक्ति
धन्यवाद जी
बहुत ही उम्दा
धन्यवाद जी🙏
आपने बड़े ही लय के साथ लिखा है
बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏 अच्छी समीक्षाएं उत्साह वर्धन करती हैं।
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद कमला जी
बहुत ही अच्छी कविता
Thanks for your pricious complement 🙏