कविता- कुष्ठ रोग से पीड़ित माँ

कविता- कुष्ठ रोग से पीड़ित माँ
—————————————
साहब मुझको पैसा दे दो
बच्चों को मेरे भोजन दे दो
ठंड लगती है भारी अब तो
इन बच्चों को कपड़ा दे दो

क्या है गरीबी जाने बच्चे
हालत को क्या पहचान बच्चे,
कुष्ठ रोग की रोगी मैं हूं
मेरे रोग को क्या जाने बच्चे

तन पर कपड़ा जो भी मेरे
जिनसे मांगी, देते बिचारे
सुबह से हाथ फैलाए बैठी हूं
मेरे बच्चों की कोई मदद करें

भूख सताती ठंड सताती है
मुझको सताती मेरी बीमारी है
बच्चा भी मेरा देख रहा
क्या कोई रोटी देखकर जाता है

देखो मां कोई आ रहा है
हाथ पसारो वह दे रहा है
मां के आंखों में आंसू आ गए
भीख न देकर डांट रहा है

भूख के मारे एक पेट पकड़कर बैठा है
भूख प्यास से एक अंगुली चाट रहा है
भाग गरीबी भारत से तू
साथ में रहकर भीख मांगना सीख रहे है

शिक्षा स्वास्थ्य की इन्हे जरूरत है
जग में मां से सुंदर ना कोई मूरत है
हर हालत में, माँ बच्चों को पालेगी
मां की पूजा हो यह सब की जरूरत है
———————————————–
कवि-ऋषि कुमार ‘प्रभाकर’-

Related Articles

कोरोनवायरस -२०१९” -२

कोरोनवायरस -२०१९” -२ —————————- कोरोनावायरस एक संक्रामक बीमारी है| इसके इलाज की खोज में अभी संपूर्ण देश के वैज्ञानिक खोज में लगे हैं | बीमारी…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

+

New Report

Close